📜 शास्त्रों में वर्णित इन विशेष अनुष्ठानों की मदद से कर्ज से मुक्ति का आशीष प्राप्त करें। ✨🙏
🔱 भगवान शिव, माँ लक्ष्मी और गणेश जी की संयुक्त कृपा से सुख, शांति और समृद्धि पाएं। 💰🕉️
सनातन धर्म में भगवान शिव को संहार और पुनर्जन्म के देवता के रूप में जाना जाता है, जो भक्तों के कष्टों को हरकर उन्हें नई दिशा प्रदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनकी कृपा से भक्त को न केवल आध्यात्मिक शांति, बल्कि सांसारिक कठिनाइयों से भी मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से, भगवान शिव को कर्जों से मुक्ति दिलाने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि महादेव की कृपा प्राप्ति हेतु शिव ऋण मुक्ति यज्ञ सबसे प्रभावी अनुष्ठान है, जिसके फलस्वरूप जीवन में स्थिरता आती है, कर्जों का भार कम होता है और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। वहीं, माँ लक्ष्मी जो केवल धन की देवी ही नहीं, बल्कि समृद्धि, सुख और वैभव का स्रोत भी मानी जाती हैं। जिनकी कृपा से आर्थिक कठिनाइयाँ समाप्त होती हैं और जीवन में स्थायी समृद्धि आती है। मान्यता है कि इन दोनों देवताओं के साथ भगवान गणेश, जिन्हें ऋण नाशक कहा जाता है, की पूजा करने से भक्तों को दुगुना फल प्राप्त होते हैं। मान्यता है कि इन तीनों देवी-देवताओं की संयुक्त पूजा से न केवल ऋण, वित्तीय अस्थिरता और धन-संबंधी कठिनाइयाँ दूर होती हैं, बल्कि भक्त अपने कर्म प्रभावों और ग्रहों के कष्टों से भी मुक्ति पा सकते हैं। पुराणों में इन प्रमुख देवी-देवताओं की कृपा प्राप्ति हेतु माँ लक्ष्मी कनकधारा स्तोत्र पाठ, शिव ऋण मुक्ति यज्ञ एवं 1008 गणेश दूर्वा अर्चना के विधान का उल्लेख किया गया है।
शास्त्रों के अनुसार, शिव ऋण मुक्ति यज्ञ भगवान शिव को समर्पित एक विशेष अनुष्ठान है, जो कर्ज मुक्ति, वित्तीय स्थिरता और आर्थिक उन्नति में सहायक माना जाता है। वहीं, माँ लक्ष्मी को समर्पित कनकधारा स्तोत्र की रचना आदि गुरु शंकराचार्य ने तब की थी, जब भिक्षा मांगते समय एक गरीब ब्राह्मण की पत्नी ने उन्हें केवल सूखे आंवले भेंट किए थे। उनकी स्थिति देखकर शंकराचार्य ने देवी लक्ष्मी की स्तुति में यह स्तोत्र रचा, जिससे सोने की वर्षा होने लगी। इसीलिए इसे "कनकधारा स्तोत्र" कहा गया। मान्यता है कि इस स्तोत्र के पाठ से व्यापार में वृद्धि और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त, इन अनुष्ठानों के साथ भगवान गणेश की दूर्वा अर्चना को भी अत्यंत फलदायी माना गया है। कहते है कि दूर्वा घास भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है, और जब भक्त श्रद्धा से 1008 दूर्वा अर्पित करते हैं, तो वे शीघ्र प्रसन्न होकर न केवल कर्जमुक्ति का आशीर्वाद देते हैं, बल्कि जीवन की समस्त बाधाएँ भी दूर कर देते हैं। इसी कारण, इस संयुक्त अनुष्ठान का आयोजन भगवान शिव को समर्पित सोमवार को मध्य प्रदेश के खंडवा जिले श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में किया जा रहा है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष त्रिदेव अनुष्ठान में भाग लें और जीवन में कर्ज से मुक्ति और वित्तीय स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त करें।