कार्तिगाई मास तमिल पंचागं के सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है। इस मास को शिव पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है। इसी कारणवश कार्तिगाई मास के सोमवार के दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि सोमवार के दिन ही चंद्र देव ने भगवान शिव की उपासना कर क्षय रोग से मुक्ति पायी थी। शास्त्रों के अनुसार, सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना करने से बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए पहली बार श्री मंदिर द्वारा कार्तिगाई माह के सोमवार के दिन तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में 11 ब्राह्मण द्वारा 51,000 शिव रूद्र मंत्र जाप एवं आरोग्य मूर्ति धन्वंतरि शक्ति हवन का आयोजन किया जा रहा है। शास्त्रों में भगवान शिव का आशाीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिव रुद्र मंत्र को लाभकारी बताया गया है। माना जाता है कि भगवान शिव के रुद्र रूप की पूजा करने से सभी प्रकार के शारीरिक कष्टों एवं रोगों से मुक्ति मिलती है।
वहीं बात करें आरोग्य मूर्ति धन्वंतरि शक्ति हवन की तो यह भगवान धनवंतरि को समर्पित एक अग्नि अनुष्ठान है। सनातन धर्म में देव धनवंतरि को भगवान विष्णु का अंश अवतार माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में मिलने वाली पौराणिक कथा के अनुसार, धन्वंतरि देव समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे, लेकिन जब धनवंतरि ने विष्णु जी से अपना पद मांगा तो विष्णु जी ने कहा कि तुम्हें आने में थोड़ा विलंब हो गया, इसलिए तुम्हें तत्काल देवपद नहीं दिया जा सकता। पर तुम द्वापर युग में पृथ्वी पर राजकुल में जन्म लोगे और तीनों लोक में तुम प्रसिद्ध और पूजित होगे। इस वर के कारण ही द्वापर युग में काशी में संस्थापक भगवान शिव की नगरी में काशी नरेश राजा काश के पुत्र धन्व की संतान के रूप में भगवान धनवंतरि ने जन्म लिया। जिसके बाद भारद्वाज से उन्होंने आयुर्वेद को पुनः ग्रहण करके उसे आठ अंगों में बांटा। भगवान धनवंतरि को समस्त रोगों के चिकित्सा की पद्धति ज्ञात थी। इसलिए भगवान धन्वंतरि को आरोग्यता प्रदान करने वाला देवता कहा गया। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और अच्छे स्वास्थ्य और तनाव मुक्त जीवन का आशीर्वाद पाएं।