दुर्गाष्टमी पर पंच महाविद्या अनुष्ठान — शक्ति, सिद्धि और सुरक्षा का दिव्य संगम 🌸
कोलकाता के शक्तिपीठ में इस पूजा का क्या विशेष महत्व है? 🛕
हिंदू धर्म में प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह तिथि देवी दुर्गा और उनके नवदुर्गा स्वरूपों को समर्पित होती है तथा दस महाविद्याओं की उपासना के लिए भी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। दस महाविद्याएं, माँ दुर्गा के उग्र और गूढ़ तांत्रिक स्वरूप मानी जाती हैं, जिनकी आराधना से साधक को भय, बाधा और अज्ञानता से मुक्ति मिलती है तथा जीवन में सिद्धि, सुरक्षा और दिव्यता का प्रवेश होता है। इस विशेष अवसर पर श्री मंदिर द्वारा पश्चिम बंगाल स्थित शक्तिपीठ कालीघाट में पंच महाविद्या विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। मान्यता है कि शक्तिपीठों में की गई देवी उपासना का प्रभाव अत्यंत तीव्र और शीघ्र फलदायी होता है। इस अनुष्ठान में विशेष रूप से माँ काली, माँ तारा, माँ षोडशी (त्रिपुरसुंदरी), माँ भुवनेश्वरी और माँ बगलामुखी की शक्ति समृद्धि महायज्ञ विधिपूर्वक सम्पन्न कराया जाएगा।
देवी भागवत पुराण के अनुसार, महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव और देवी सती के मध्य हुए एक भावनात्मक प्रसंग से जुड़ी है। जब देवी सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भाग लेने की अनुमति चाहती थीं और भगवान शिव ने उन्हें रोका, तब उन्होंने अपने भीतर की शक्तियों को जागृत कर दस रूपों में प्रकट होकर भगवान शिव को चारों दिशाओं से घेर लिया। ये ही दस रूप आगे चलकर दस महाविद्याओं के नाम से प्रसिद्ध हुए, जिनमें से पाँच स्वरूप माँ काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी और बगलामुखी सर्वाधिक पूजनीय मानी जाती हैं।
आइए जानते हैं ये पंच महाविद्याएं क्यों हैं इतनी खास ?
✔️पहली महाविद्या मां काली समय, सृजन और विनाश का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह शिव की शक्ति हैं। ;यह बाधाओं व नकारात्मकता को नष्ट करती हैं।
✔️ माँ तारा, तांत्रिकों की प्रमुख देवी हैं। महर्षि वशिष्ठ ने सबसे पहले माँ तारा की पूजा की थी। वह भक्तों को ज्ञान और आध्यात्मिक मुक्ति प्रदान करते हुए बुरे समय से निपटने में मदद करती हैं।
✔️ माँ षोडशी, जो सुंदरता, सद्भाव और परम सत्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। जीवन में संतुलन और पूर्णता लाने की उनकी क्षमता के लिए उनकी पूजा की जाती है।
✔️माँ भुवनेश्वरी, को ब्रह्मांड की देवी माना जाता है। वह पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करती हैं। वह सृजन और प्रचुरता की पोषण शक्ति हैं।
✔️माँ बगलामुखी, नियंत्रण, विजय और शांति का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह दुश्मनों को वश में करने और सुरक्षा प्रदान करने की अपनी शक्ति के लिए जानी जाती है।
आप भी इस दुर्गाष्टमी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।