मानसिक और शारीरिक शक्ति के लिए सोमवती अमावस्या शक्तिपीठ विशेष 10 महाविद्या पूजा और 1008 लाल पुष्प हवन
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सोमवती अमावस्या शक्तिपीठ विशेष

10 महाविद्या पूजा और 1008 लाल पुष्प हवन

मानसिक और शारीरिक शक्ति के लिए
temple venue
शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता
pooja date
2 September, Monday, भाद्रपद कृष्ण अमावस्या
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मानसिक और शारीरिक शक्ति के लिए सोमवती अमावस्या शक्तिपीठ विशेष 10 महाविद्या पूजा और 1008 लाल पुष्प हवन

दस महाविद्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप एवं सभी सिद्धियों की दाता माना जाता है। इन दस महाविद्याओं की पूजा करने वालों को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। देवी को प्रसन्न करने के लिए तांत्रिक साधक देवी मां की पूजा करते हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव एवं उनकी पत्नी सती के बीच विवाद से हुई थी। सती ने अपने पिता द्वारा आयोजित एक यज्ञ में भाग लेने की जिद्द की, जिसे भगवान शिव ने अनदेखा कर दिया। तब माता सती ने महाकाली अवतार धारण किया, ऐसा देखकर भगवान शिव अचंभित हो गए और हर तरफ यानि सभी दिशाओं में भागने लगे। तभी माता सती ने उन्हें रोकने का प्रयास किया जिसके लिए देवी सती ने स्वयं को दसों दिशाओं में प्रकट किया, जिन्हें दस महाविद्याओं के रूप में जाना गया।

शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या का दिन तांत्रिक साधनाओं में बहुत महत्व रखता है। यह दिन देवी मां को समर्पित है इसलिए माना जाता है कि इस दिन दसों महाविद्या की पूजा करने से भक्तों को मानसिक एवं शारीरिक शक्ति का आशीष मिलता है। वहीं इस बार अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है जिससे इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां भगवती को लाल फूल बहुत प्रिय हैं। चूंकि दस महाविद्याएं मां गौरी का ही रूप हैं, इसलिए उन्हें लाल फूल चढ़ाना सबसे अच्छा माना जाता है। न केवल फूल चढ़ाने से बल्कि दस महाविद्याओं को लाल फूलों की आहुति देने से भी वे बेहद प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए सोमवती अमावस्या के शुभ दिन पर पश्चिम बंगाल में स्थित शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में 10 महाविद्या पूजा और 1008 लाल पुष्प हवन का आयोजन किया जा रहा है। यह मंदिर मां काली की पूजा के लिए अत्यंत शक्तिशाली शक्तिपीठ माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और 10 महाविद्याओं से आशीर्वाद प्राप्त करें।

शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता

शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता
कालीघाट मंदिर, जो कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है, हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जो शक्ति, ऊर्जा और विनाश की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां इस मंदिर में देवी काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे नजर आ रही हैं और उनके गले में नरमुंडों की माला है, उनके हाथ में कुछ कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में कुछ नरमुंड भी बंधे हुए हैं। उनकी जीभ बाहर निकली हुई है और जीभ से कुछ रक्त की बूंदे टपक रह हैं। गौरतलब है कि प्रतिमा में मां काली की जीभ स्वर्ण से बनी हुई है।

वर्तमान में मौजूद मंदिर का निर्माण सबॉर्नो रॉय चौधरी परिवार और बाबू कालीप्रसाद दत्तो के संरक्षण में किया गया था, जिसका निर्माण सन् 1798 में शुरू हुआ और 1809 में पूर्ण हुआ। कालीघाट मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह मंदिर कई सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है, जो यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कालीघाट में देवी काली की पूजा से भक्तों को डर, बुराई, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा, यह मंदिर बंगाल के सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है और यहां के धार्मिक त्योहार, विशेषकर दुर्गा पूजा और काली पूजा, बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

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व्यक्तिगत पूजा

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आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

पार्टनर पूजा

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पारिवारिक पूजा

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पूजा संकल्प के दौरान पंडित जी आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
कालीमठ मंदिर में दस महाविद्या को फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाएगा।
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पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

संयुक्त परिवार पूजा

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पूजा संकल्प के दौरान पंडित जी आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
कालीमठ मंदिर में दस महाविद्या को पुष्पांजलि के साथ फल, मिठाई और सूखे मेवे से युक्त भोग अर्पित किया जाएगा
अपने नाम से किए जाने वाले वस्त्र दान, अन्न दान, गौ सेवा या दीप दान जैसे अन्य सेवाएं का विकल्प चुनें।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

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