माँ प्रत्यंगिरा और अष्ट भैरव के संयुक्त पूजा से पाएं नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से मुक्ति✨
हिंदू धर्म की मान्यतानुसार, रविवार का दिन देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, दस महाविद्याएं देवी दुर्गा के ही स्वरूप हैं। इनमें से मां प्रत्यंगिरा को आदिशक्ति का अत्यंत उग्र और शक्तिशाली रूप माना जाता है। देवी प्रत्यंगिरा नकारात्मक शक्तियों, तामसिक ऊर्जा और बुरी शक्तियों के विनाश के लिए जानी जाती हैं। पुराणों में उनका स्वरूप अर्ध-सिंह और अर्ध-मानव रूप में वर्णित है, जो उनकी अपार शक्ति व विकरालता का प्रतीक है। शिवपुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप जैसे दैत्य का संहार करने के लिए नरसिंह अवतार लिया, तब वे अपने आपे से बाहर हो गए थे। उन्हें शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ अवतार लिया, लेकिन परिस्थितियां और खराब हो गईं और भगवान विष्णु का गुस्सा दोगुना हो गया। इसके बाद, उन्होंने गंडभेरुंड अवतार लिया और वह शिव के शरभ अवतार से युद्ध करने लगे। इस भीषण युद्ध ने सारे संसार को भयभित कर दिया। देवता, ऋषि-मुनि और पूरा ब्रह्मांड इस विनाशकारी संघर्ष को रोकने में असमर्थ थे। तब स्वयं आदिशक्ति ने देवी प्रत्यंगिरा के रूप में अवतार लिया। उनकी प्रचंड गर्जना से शरभ और गंडभेरुंड अवतार शांत हो गए और अपने मूल स्वरूप में लौट आए। इस प्रकार, देवी प्रत्यंगिरा ने महाविनाश को रोककर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की। मान्यता है कि उनकी साधना से व्यक्ति भय, नकारात्मक उर्जा और बुरी शक्तियों से मुक्ति प्राप्त करता है।
माँ प्रत्यंगिरा और अष्ट भैरव की संयुक्त पूजा क्यों है इतनी महत्वपूर्ण?🤔
वहीं, माना जाता है कि अष्ट भैरव रक्षा अनुष्ठान के साथ मां प्रत्यंगिरा की साधना करने से उनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। भगवान भैरव के आठ रूप अष्ट भैरव ब्रह्मांड के रक्षक हैं और व्यक्ति के जीवन से बाधाओं, शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने में मदद करते हैं। इन्हें सुरक्षा और न्याय का देवता माना जाता है, जबकि माँ प्रत्यंगिरा को उनके शक्तिशाली समकक्ष के रूप में पूजा जाता है। चूँकि दोनों को बुरी शक्तियों को नष्ट करने के लिए जाना जाता है, इसलिए कहा जाता है कि उनका संयुक्त अनुष्ठान व्यक्ति को नकारात्मकता से मुक्त करता है और दैवीय शक्ति प्रदान करता है। इसी कारण रविवार के दिन उज्जैन के माँ बगलामुखी मंदिर में मां प्रत्यंगिरा कवच पूजा, विपरीत तंत्रोक्त यज्ञ और अष्ट भैरव रक्षा अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लें और माँ प्रत्यंगिरा और अष्ट भैरव का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।