भगवान शिव को "देवो के देव महादेव" के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इस शुभ माह में भगवान शिव के अलावा अन्य देवी देवताओं की पूजा भी की जाती है। वहीं भगवान काल भैरव को शिवजी का उग्र रूप माना जाता है, इसलिए श्रावण में इनकी पूजा भी प्रभावशाली मानी गई है। इन्हें शीघ्र प्रसन्न करने एवं सर्वोच्च साहस का आशीर्वाद पाने के लिए कालभैरवाष्टकम का पाठ बहुत लाभकारी माना जाता है। इस पाठ की रचना श्री आदि शंकराचार्य जी ने की थी और कहते हैं यह इतना शक्तिशाली पाठ है कि इसे करने से बुरी शक्तियां मनुष्य के आस पास भी नहीं भटकती हैं।
बात करें अगर उज्जैन कि तो इसे महाकाल की नगरी एवं अष्टभैरव की तपोस्थली भी कहते हैं। स्कंद पुराण में वर्णित है कि विक्रांत भैरव उज्जैन में निवास करते हैं, इनकी पूजा से भक्तों को साहस और निर्भयता का आशीर्वाद मिलता है। भगवान काल भैरव को उज्जैन नगरी का सेनापति माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि वे महाकाल की नगरी की रक्षा करते हैं। यहां स्थित विक्रांत भैरव मंदिर में देश विदेश से लोग तंत्र साधना और सिद्धियां प्राप्त करने आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में की गई तंत्र पूजा कभी असफल नहीं होती। इसलिए श्रावण माह में आयोजित उज्जैन के श्री विक्रांत भैरव मंदिर में होने वाली इस पूजा में श्री मंदिर द्वारा भाग लें और काल भैरव का आशीष प्राप्त करें।