ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का अपना महत्व होता है। कुंडली में जब कोई ग्रह मजबूत होता है तो वह जातक को शुभ फल देता है और कमजोर होता है तो अशुभ फल देता है। वहीं कुछ ग्रह दूसरे ग्रहों के साथ मिलकर शुभ व अशुभ दोनों फल देते हैं। राहु एवं शनि का स्वभाव लगभग एक ही तरह है, इनकी युति से अलग-अलग योग बनते हैं जिनमें से एक है श्रापित योग। ज्योतिष शास्त्र में इसे महाकष्टकारी योग को माना जाता है। जिनकी कुंडली में ये योग बनता है उन्हें अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, राहु ग्रह व्यक्ति की बुद्धि को भ्रमित कर देता है जिससे उसके कार्यों में विलंब होता है और शनि के नकारात्मक प्रभावों से व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
कुंडली में इस दोष से होने वाले दुष्प्रभाव से निजात पाने के लिए राहु-शनि श्रापित दोष शांति यज्ञ और तिल तेल अभिषेक अत्यंत लाभकारी बताया गया है। वहीं मान्यता है कि इस पूजा को अगर किसी शुभ दिन और संयोग पर किया जाए तो इसका महत्व और अधिक बढ जाता है। जहां शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है, वहीं इस दिन स्वाति नक्षत्र भी लग रहा है, जिसे 27 नक्षत्रों में 15वां नक्षत्र माना गया है, इस नक्षत्र का स्वामी राहु है। यह शुभ संयोग कुंडली में राहु और शनि के प्रभाव को शांत करने और इनके दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत लाभकारी बताया गया है। इस संयोग में महाकाल की नगरी उज्जैन में राहु-शनि श्रापित दोष शांति हवन और तिल तेल अभिषेक पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में शामिल हों और राहु और शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाएं।