हिंदू धर्म में श्रावण मास को महादेव का प्रिय माह माना जाता है। मान्यता है कि राहु ग्रह भगवान शिव के परम आराधक हैं, इसलिए कहा जाता है कि जब राहु कुंडली में खराब स्थिति में हो तो जातक को शिवजी की आराधना करनी चाहिए। मान्यता है कि श्रावण के पवित्र महीने में भगवान शिव की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। वहीं 27 नक्षत्रों में शतभिषा को 24वां नक्षत्र माना गया है, जिसका स्वामी राहु है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राहु और केतु एक ही राक्षस के शरीर से जन्मे दो ग्रह हैं। राक्षस के सिर वाला भाग राहु कहलाता है, जबकि धड़ वाला भाग केतु। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु को छाया ग्रह माना जाता है और इनके नकारात्मक प्रभाव से मानसिक अस्थिरता, भय एवं चिंता जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। कुंडली के विशिष्ट भावों में इनकी स्थिति या विशिष्ट ग्रहों पर उनकी दृष्टि जातक को अपने जीवन के बारे में भ्रमित और अनिश्चित महसूस करा सकती है।
मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु दोष है, तो उसके जीवन में अशुभ घटनाएं भी हो सकती हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि जब राहु ऐसे फल दे रहा हो तो उसकी शांति के लिए राहु ग्रह शांति पूजा करवाना अत्यंत लाभकारी होता है। इसलिए श्रावण माह के पावन अवसर पर राहु द्वारा शासित शतभिषा नक्षत्र के दौरान राहु ग्रह शांति पूजा का आयोजन किया जा रहा है। इस शुभ नक्षत्र में होने वाली राहु की ये पूजा उत्तराखंड में उपस्थित राहु पिठानी मंदिर में की जाएगी। श्री मंदिर पूजा सेवा द्वारा राहु ग्रह शांति पूजा:18,000 राहु मूल मंत्र जाप एवं हवन में भाग लें और राहु के अशुभत्व से मुक्ति का आशीष पाएं।