सनातन धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है। इसके पीछे पौराणिक कथा है, जिसमें बताया गया है कि सोमवार के दिन ही चंद्र देव ने देवों के देव महादेव की आराधना की थी और महादेव ने प्रसन्न होकर चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्त कर दिया था। तब से ही सोमवार के दिन को भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ माना गया है। इसी कारणवश भक्त सोमवार के भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कई तरह के दिव्य अनुष्ठान करते हैं, जिनमें से एक रुद्राभिषेक और शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप भी एक है। रुद्राभिषेक का अर्थ है रुद्र रूपी शिवलिंग का मंत्रोच्चार के साथ पवित्र जल, दूध, शहद और अन्य सामग्रियों से स्नान कराना। रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रुद्र हैं। माना जाता है कि रुद्र रुप में प्रतिष्ठित शिव मनुष्य के दुखों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वहीं शास्त्रों के अनुसार, ॐ नमः शिवाय ही पंचाक्षरी मंत्र है, जिसका अर्थ है पांच अक्षरों वाला मंत्र। कहा जाता है कि यह संसार का सबसे पहला मंत्र है और इसके जाप से किसी भी मनवांछित फल की प्राप्त की जा सकती है। मान्यता है कि सोमवार के दिन रुद्राभिषेक और शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करने से भगवान शिव द्वारा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति एवं आर्थिक स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि यह अनुष्ठान किसी ज्योतिर्लिंग में किया जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, धन के देवता कुबेर भगवान शिव के परम भक्त थे। कुबेर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में कठोर तपस्या की थी। इसके लिए उन्होंने यहां एक शिवलिंग स्थापित किया था। भगवान शिव कुबेर की भक्ति से प्रसन्न हुए एवं कुबेर को देवताओं का धनपति बना दिया। तभी से यह माना जाता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक और पंचाक्षरी मंत्र का जाप करने से सभी मनोकामानओं की पूर्ति होती है और आर्थिक स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं शिव पुराण की मानें तो अगर कोई व्यक्ति कर्ज से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है, तो उसे सोमवार के दिन ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक करना चाहिए। इसलिए सोमवार के दिन श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में शिव रुद्राभिषेक एवं 11,000 शिव पंचाक्षरी मंत्र जाप का आयोजन किया जा रहा है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें।