अच्छे स्वास्थ्य और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए पंच देवता 21 ब्राह्मण विशेष शिव पूजा 51,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और रुद्राभिषेक
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अच्छे स्वास्थ्य और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए पंच देवता 21 ब्राह्मण विशेष शिव पूजा 51,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और रुद्राभिषेक
पंच देवता 21 ब्राह्मण विशेष शिव पूजा

51,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और रुद्राभिषेक

अच्छे स्वास्थ्य और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए
temple venue
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश
pooja date
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srimandir devotees
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अच्छे स्वास्थ्य और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए पंच देवता 21 ब्राह्मण विशेष शिव पूजा 51,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और रुद्राभिषेक

पंच देवताओं की पूजा पद्धति को ‘पंचायतन पूजा’ कहते हैं। यह स्मार्त सम्प्रदाय की एक पूजा पद्धति है। इस विधि में पाँच देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें से प्रत्येक पंच तत्वों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये पंच देव, भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शिव, ब्रह्मांड के रक्षक भगवान विष्णु और सूर्य देव, सूर्य नारायण हैं। जिनमें भगवान गणेश को जल तत्व, शिव जी को पृथ्वी तत्व, विष्णु जी को वायु तत्व, सूर्य देव को आकाश तत्व व देवी दुर्गा को अग्नि तत्व माना गया है। इन पंच देवता पूजा में प्रमुख देवताओं में से एक होने के कारण भगवान शिव विशेष महत्व रखते हैं। भगवान शिव को समर्पित सोमवार का दिन उनका आशीर्वाद पाने के लिए अत्यतं शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इसी दिन, चंद्रदेव ने शिवजी की पूजा कर अच्छे स्वास्थ्य का वरदान पाया था। तभी से, सोमवार को शिव पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाने लगा।

भगवान शिव को समर्पित सबसे शक्तिशाली मंत्र जाप में से एक महामृत्युंजय मंत्र है। "महा" शब्द का अर्थ है "महान", "मृत्यु" का अर्थ है "मृत्यु", और "जय" का अर्थ है "जीत"। इस मंत्र की रचना ऋषि मार्कंडेय ने की थी। कथाओं के अनुसार, मार्कंडेय का जन्म अल्पायु के साथ हुआ था, उनकी मृत्यु 16 वर्ष की आयु में लिखी थी। 15 वर्ष की आयु में उसे यह पता चला तो उसने भगवान शिव से भक्तिपूर्वक प्रार्थना की। जब यम उन्हें लेने आए, तो मार्कंडेय शिवलिंग से लिपट गए। उनकी भक्ति से अभिभूत होकर, भगवान शिव ने उन्हें अमरता प्रदान किया और कहा कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति सभी परेशानियों और असामयिक मृत्यु के भय से मुक्ति मिलेगी। मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। वहीं, यह पूजा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में 51,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप के साथ रुद्राभिषेक करने से नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए, 21 ब्राह्मणों द्वारा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में 51,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप का आयोजन किया जा रहा है, जिनकी सामूहिक भक्ति भगवान शिव के आशीर्वाद से भक्तों को दिव्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और नकारात्मकता से राहत मिलेगी।

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, इन्हें स्वयंभू लिंग माना जाता है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नाम के द्वीप पर स्थित है। यहां ज्योतिर्लिंग दो स्वरूप में मौजूद है। जिनमें से एक को ममलेश्वर के नाम से और दूसरे को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। ममलेश्वर नर्मदा के दक्षिण तट पर ओंकारेश्वर से थोड़ी दूर स्थित है। अलग होते हुए भी इनकी गणना एक ही की जाती है। ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था। वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ के बिना नहीं होता है। मान्यता है कि मां नर्मदा भी यहां स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। शास्त्रों के अनुसार ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा का उल्लेख है।

पौराणिक कथा के अनुसार भोलेनाथ तीनों लोकों के भ्रमण के बाद यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं। कहते हैं पृथ्वी पर ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती रोज चौसर पांसे खेलते हैं। रात्रि में शयन आरती के बाद यहां प्रतिदिन चौपड़ बिछाए जाते हैं और गर्भग्रह बंद कर दिया जाता है। आश्चर्य की बात है कि जिस मंदिर के भीतर रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार पाता है वहां हर दिन चौपड़ बिखरे पाए जाते हैं। यह तथ्य इस मंदिर के धार्मिक महत्व को और बढा देता है यही कारण है कि सभी तीर्थों के दर्शन पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन विशेष महत्व है। तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं अन्यथा वे अधूरे ही माने जाते हैं।

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