माघ कृष्ण तृतीया विशेष नवग्रह पीड़ा शांति महापूजा एवं रुद्राभिषेक
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temple venue
श्री गौरी-केदारेश्वर मंदिर, काशी
pooja date
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srimandir devotees
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माघ कृष्ण तृतीया विशेष नवग्रह पीड़ा शांति महापूजा एवं रुद्राभिषेक

नव ग्रहों के परिभ्रमण के कारण आनेवाले अशुभ परिणामों को दूर करने, जीवन से दुर्भाग्य दूर कर, सदभाग्य की प्राप्ति के लिए एवं सेहतमंद स्वास्थ्य की प्राप्ति के साथ जीवन को सदैव खुशहाल रखने के लिए श्री गौरी-केदारेश्वर मंदिर, काशी के आचार्यों द्वारा दिनांक 28 जनवरी 2024, रविवार, माघ कृष्ण तृतीया के दिन आयोजित नवग्रह पीड़ा शांति महापूजा एवं रुद्राभिषेक पूजा में सहभागी होने के लिए श्री मंदिर आपको हार्दिक आमंत्रित करता है।

श्री गौरी-केदारेश्वर मंदिर, काशी

श्री गौरी-केदारेश्वर मंदिर, काशी
महादेव की नगरी काशी में कई अद्भुत महाशिवलिंग हैं। इन्ही में से है एक है गौरी केदारेश्वर मंदिर जिनकी महिमा अपरंपार है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शिवलिंग के दर्शन से उत्तराखंड के केदारनाथ दर्शन के बराबर फल मिलता है।

कथाओं में वर्णित है कि भगवान राम के वंशज राजा मानदाता भगवान शिव के परम भक्त थें। वे नित केदारनाथ के दर्शन करने जाते थे और भगवान को खिचड़ी का भोग लगाते थे। भगवान शिव के कहने पर ही उन्होनें काशी में कड़ी तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव, खिचड़ी से प्रकट हुए, जिन्हें गौरी केदारेश्वर के नाम से जाना गया।

काशी के इस मंदिर में महादेव के शिवलिंग दो भागों में होने से हरि-हरात्मक लिंग के रूप में विराजमान है। गौरी, केदारेश्वर, महाविष्णु, महालक्ष्मी एवं यह लिंग अन्न से निर्मित होने के कारण अन्नपूर्णा का इस लिंग में वास माना जाता है।

जिसमें से केदारेश्वर एवं गौरी भक्तों को मुक्ति प्रदान करते हैं। यहाँ उपस्थित महालक्ष्मी मोक्ष लक्ष्मी के रूप में होने से भक्तों को मोक्ष प्रदान करती है। इस लिंग में उपस्थित महाविष्णु गुरु के रूप में स्थापित है और भक्तों को आध्यात्मिकता के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। माता अन्नपूर्णा भक्तों को धन-धान्य एवं सुख-शांति का आशीष देती हैं। इसी के साथ यहाँ नवग्रहों के भी स्वरुप स्थापित है।

काशी के इस मंदिर में देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। सावन के महीने के अलावा प्रत्येक सोमवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। मान्यता है की यहाँ पर भगवान शिव की अभिषेक पूजा एवं नवग्रहों की शांति पूजा करने से भक्तों को सर्वोत्तम शुभ फल की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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