सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह समय पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए की सबसे शुभ माना गया है। इस अवधि में पड़ने वाली सभी तिथियों का अपना अलग महत्व होता है, जिसमें से एक है दशमी तिथि। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी भी माह की दशमी तिथि को हुई हो। शास्त्रों की मानें तो पितृ पक्ष की अवधि के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष का समय पितृ दोष के निवारण के लिए भी शुभ माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जिन लोगों का अंतिम संस्कार नहीं हो पाता, उनकी शांति के लिए नारायण बलि, नाग बलि पूजा का विधान बताया गया है, और इस अनुष्ठान को पितृ पक्ष में करने से इसका लाभ कई गुना बढ़ सकता है। पितृ दोष के कारण जीवन में आर्थिक हानि, गृह क्लेश आदि समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। नारायण बलि पूजा पितृदोष निवारण के लिए की जाती है, वहीं नागबलि पूजा का मुख्य उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना है। शास्त्रों के अनुसार, यह दोनों पूजाएं एक साथ करने से ही सफल होती है।
मोक्ष की नगरी के रूप में जानी जाने वाली काशी में पवित्र पिशाच मोचन कुंड है, जो नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। गरुड़ पुराण में वर्णित इस कुंड का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। काशी खंड के अनुसार, पिशाच मोचन कुंड गंगा के पृथ्वी पर अवतरण से भी पहले से मौजूद है। सदियों से, देश भर से भक्त काशी के इस कुंड में अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करने और उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए आशीर्वाद लेने आते हैं। माना जाता है कि ये अनुष्ठान दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करने, पितृ दोष को दूर करने और जीवन में विभिन्न कठिनाइयों को हल करने में सहायक होते हैं। इसलिए, श्राद्ध त्रयोदशी के शुभ अवसर पर, काशी के पिशाच मोचन कुंड में नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और दिवंगत आत्माओं की शांति और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके अलावा, पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। इसलिए इस पूजा में इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं।