सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है, जिनमें से एक हैं मां कालरात्रि। ज्योतिषियों के अनुसार, देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान शनि देव की पूजा करने से शनि के दुष्प्रभाव दूर होते हैं। इतना ही नहीं माता की कृपा से ग्रह-बाधाएं भी दूर होती हैं। वहीं मां कालरात्रि का शनिदेव से भी संबंध है। जहां मां कालरात्रि का रंग श्याम वहीं शनिदेव का रंग भी श्याम है। शनिदेव को ज्योतिष शास्त्र में न्याय का देवता माना गया है तो मां कालरात्रि भी गलत कार्यों को करने वालों को दंडित करती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो शनि उन शक्तिशाली ग्रहों में से एक हैं, जिनकी चाल और स्थितियां मनुष्य को सबसे अधिक प्रभावित कर सकती हैं। जिन लोगों पर शनिदेव की कृपा होती है उन्हें जीवन में समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
जब कुंडली में शनि शुभ स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है। यदि शनि अशुभ स्थिति में हो तो बने बनाए काम भी बिगड़ने लगते हैं और जीवन में अनचाही बाधाएं भी आने लगती हैं। पुराणों में शनिदेव को प्रसन्न करने के वैसे तो कई उपाय बताए गए हैं लेकिन उनमें मंत्रों के जाप का विशेष महत्व है। माना जाता है कि शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि देव के मूल मंत्र का जाप करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट कम हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की महादशा 19 वर्ष तक चलती है इसलिए इस दशा में मूल मंत्र का 19,000 बार जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यदि नवरात्रि पर इन मूल मंत्रों के साथ कालरात्रि कवच का पाठ किया जाए तो यह अनुष्ठान कई गुना अधिक फलदायी हो सकता है, क्योंकि मां कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करने वाली और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करने वाली देवी है। इसलिए नवरात्रि के पांचवे दिन पर उज्जैन के श्री नवग्रह शनि मंदिर में 19,000 शनि मूल मंत्र जाप एवं कालरात्रि कवच पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इस दिन अनुराधा नक्षत्र भी लग रहा है, जिसके स्वामी स्वंय शनिदेव है। ऐसे में इस पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और मां कालरात्रि और शनि देव द्वारा जीवन में नकारात्मकता से सुरक्षा एवं कर्म दोष से राहत का आशीर्वाद प्राप्त करें।