सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। हिंदु कैलेंडर के अनुसार, एक वर्ष में कुल 12 पूर्णिमा पड़ती है और शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि पर चंद्र देव की उपासना को शुभ बताया गया है, क्योंकि पूर्णिमा तिथि पर ही चंद्र देव अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। चंद्र देव की कलाओं के पीछे शिव पुराण में एक कथा वर्णित है, जिसमें बताया गया है कि राजा दक्ष की 27 बेटियों का विवाह चंद्रमा देव से हुआ था। जिसमें से चंद्र देव को अपनी एक पत्नी रोहिणी के प्रति विशेष लगाव था, जिससे उनकी अन्य पत्नियां नाराज हो गई और सभी ने राजा दक्ष से शिकायत की। राज दक्ष के समझाने पर भी जब चंद्र देव का व्यवहार नहीं बदला तो उन्होंने चंद्र देव को 15 दिन में नष्ट हो जाने का श्राप दे दिया, जिसके कारण वह दिन पर दिन छोटे और कमजोर होने लगे। स्थिति को समझते हुए नारद मुनी ने चंद्र देव को भगवान शिव की आराधना करने को कहा। इसके बाद चंद्र देव ने अपनी घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। तब भगवान शिव ने चंद्र देव को श्राप से मुक्त करते हुए आशीर्वाद दिया की 15 दिन तुम्हारी शक्ति बढ़ेगी और 15 दिन तक तुम्हारी शक्ति घटेगी। इसी कारणवश पूर्णिमा और अमावस्या की परंपरा की शुरुआत हुई, तब से माना जाता है कि पूर्णिमा पर चंद्र देव की पूजा करने से उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धार्मिक ग्रंथों में चंद्र देव को मन, मानसिक शांति और शीतलता का देवता माना जाता है। वहीं ज्योतिषशास्त्र में भी चंद्रमा को मन का कारक ग्रह बताया गया है। ज्योतिषियों के उनसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अशुभ भावों में है तो उस व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता क्षीण हो जाती है और व्यक्ति मानसिक समस्याओं का सामना करने लगता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के शुभ दिन पर चंद्र बीज मंत्र का जाप करके चंद्र देव द्वारा मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि इस दिन चंद्र देव अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते है। यदि इस मंत्रों के जाप के साथ शिव रुद्राभिषेक भी किया जाए तो यह मंत्र कई गुना अधिक फलदायी हो जाते हैं, क्योंकि स्वंय चंद्र देव भी भगवान शिव के उपासक है। इसलिए शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर ऋषिकेश मंदिर में गंगा तट पर स्थित श्री चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में 10,000 चंद्र बीज मंत्र जाप और शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और चंद्र देव और भगवान शिव द्वारा मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त करें।