हिन्दु पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा सबसे प्रसिद्ध पूर्णिमाओं में से एक है। मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा अपने सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है। यही कारण है कि इस शुभ दिन पर चन्द्र देव की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन चन्द्रमा न केवल सभी सोलह कलाओं के साथ चमकता है, बल्कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणों में उपचार के कुछ गुण भी होते हैं जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक उर्जा प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि हिन्दु धर्म में मानव का प्रत्येक गुण किसी न किसी कला से जुड़ा होता है और इन्हीं सोलह विभिन्न कलाओं का संयोजन एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है। वहीं बात करें चंद्रमा एवं शिव की तो इनका संबंध अत्यंत पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार, राजा दक्ष की 27 बेटियां थीं और उन्होंने सभी का विवाह चंद्रमा से किया था। चंद्रमा को रोहिणी से सबसे ज़्यादा लगाव था। इससे दुखी होकर अन्य कन्याओं ने अपने पिता से शिकायत की तब दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया। इस श्राप की वजह से चंद्रमा क्षय रोग से ग्रस्त हो गए और उनकी कलाएं खत्म हो गईं। नारद मुनि ने चंद्रमा को भगवान शिव की आराधना करने को कहा. चंद्रमा ने भगवान शिव की आराधना की और उनके रोग दूर हुए। इसके बाद चंद्रमा ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह उन्हें अपने सिर पर धारण करें।
दूसरी ओर चंद्रमा के बढ़ने और घटने की चक्रीय प्रकृति को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। घटता हुआ चरण क्षय और मृत्यु का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि बढ़ता हुआ चरण विकास, नवीनीकरण और जीवन का प्रतीक है। वहीं चंद्रमा का भगवान शिव से गहरा संबंध है, जो अपने सिर पर अर्धचंद्र धारण करते हैं। एक तरफ जहां चंद्रमा को मृत्यु को विलंबित करने के लिए जाना जाता है वहीं शिव को मृत्यु के नाशकर्ता के रूप में महामृत्युंजय मंत्र के माध्यम से पूजा जाता है। शिव और चंद्रमा एक दूसरे से जुड़े होने के कारण ये दोनों ही मृत्यु पर विजय पाने के इस पहलू में समान भागीदार हैं। माना जाता है कि चंद्रमा का शांत करने वाला, ठंडा करने वाला प्रभाव शिव की विनाशकारी शक्ति का पूरक है, जो जीवन के संरक्षण और संतुलन का प्रतीक है। इसलिए इस शुभ दिन पर चंद्रमा और शिव इन दोनों की पूजा कि जाए तो इससे मानसिक और शारीरिक कल्याण का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, चंद्रमा के अधिदेवता भगवान शिव हैं। इसलिए, शिव की पूजा करने से चंद्रमा शांत होते हैं और चंद्र दोष दूर होता है। इसलिए शरद पूर्णिमा के इस शुभ दिन पर श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप, 10,000 चंद्र बीज मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है। भगवान शिव एवं चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें।