मानसिक कल्याण और मन की शांति के लिए केतु का नक्षत्र शनिवार विशेष केतु-शनि श्रापित दोष शांति यज्ञ और तिल-तेल अभिषेक
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केतु का नक्षत्र शनिवार विशेष

केतु-शनि श्रापित दोष शांति यज्ञ और तिल-तेल अभिषेक

मानसिक कल्याण और मन की शांति के लिए
temple venue
श्री नवग्रह शनि मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
pooja date
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मानसिक कल्याण और मन की शांति के लिए केतु का नक्षत्र शनिवार विशेष केतु-शनि श्रापित दोष शांति यज्ञ और तिल-तेल अभिषेक

पुराणों और वेदों के अनुसार एक बार ऋषि कश्यप को उनके पिछले जन्म के कर्मों के कारण केतु-शनि श्रापित दोष का सामना करना पड़ा था, क्योंकि उन्होंने अपनी जिम्मेदारियां सही से नहीं निभाईं और कई लोगों को कष्ट पहुंचाया। जिसके कारण न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव और वैराग्य का ग्रह कहे जाने वाले केतु ने मिलकर ऋषि कश्यप के मानसिक संघर्ष की स्थिति उत्पन्न की। मान्यता है कि केतु-शनि श्रापित दोष तब लगता है जब किसी जातक की कुंडली में शनि और केतु एक ही भाव में हों। श्रापित का अर्थ है पिछले जन्म के कर्मों के कारण श्राप मिलना। यह दोष कार्यों में देरी, उत्पादकता में कमी, और करियर और रिश्तों में अस्थिरता का कारण बन सकता है। ऋषि कश्यप ने अपनी स्थिति और इस दोष को जानने के बाद भगवान शिव से राहत की प्रार्थना की। भगवान शिव ने ऋषि कश्यप को केतु-शनि श्रापित शांति यज्ञ और तिल-तेल अभिषेक की सलाह दी। मान्यता है कि इस दोष के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए यह अनुष्ठान मददगार साबित होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि-केतु श्रापित दोष यज्ञ और तिल-तेल अभिषेक करने से मानसिक और भावनात्मक कष्टों से राहत मिल सकती है। इसके साथ ही यह अनुष्ठान करने से शनि और केतु की ऊर्जाओं का संतुलन भी बनता है, जिसके कारण मानसिक शांति भी प्राप्त हो सकती है। जिस प्रकार प्रत्येक देवता को समर्पित एक विशेष दिन होता है, उसी प्रकार शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित होता है और अश्विनी नक्षत्र केतु द्वारा शासित होता है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि अश्विनी नक्षत्र के दौरान शनिवार को यह पूजा करना अत्यधिक लाभकारी होता है। उज्जैन में श्री नवग्रह शनि मंदिर को इस पूजा के लिए सबसे शुभ स्थान माना जाता है, क्योंकि यह सभी नौ ग्रहों की पूजा के लिए समर्पित है। इसलिए, केतु के नक्षत्र यानि अश्विनी नक्षत्र के दौरान शनिवार को श्री मंदिर के माध्यम से उज्जैन के श्री नवग्रह शनि मंदिर में होने वाली केतु-शनि श्रापित दोष शांति यज्ञ और शनि तिल तेल अभिषेक में भाग लें।

श्री नवग्रह शनि मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश

श्री नवग्रह शनि मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
क्षिप्रा नदी के तट पर बसी नगरी उज्जैन में स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने लगभग 2000 साल पहले की थी। वर्णित हैं कि, राजा विक्रमादित्य ने इस मंदिर की स्थापना शनि की साढ़ेसाती से मुक्त होने के बाद कराई थी। कहा जाता है कि विक्रमादित्य ने इस मंदिर को बनाने के बाद ही विक्रम संवत की शुरुआत की थी। इस मंदिर में शनिदेव भगवान शिव के रूप में विराजमान हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए शनिदेव पर तेल चढ़ाते हैं।

मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से शनिदेव को प्रसन्न करता है उसे शनिदेव कभी दुख नहीं देते और सारे कष्ट दूर कर देते हैं। साथ ही देश के कोने कोने से लोग यहां शनि दोष का नकारात्मक प्रभाव, संतान की शिक्षा, विवाह में आ रही बाधाओं जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव के स्वरूप शनि के चरणों में शनि दोष पीड़ा शांति महापूजा एवं तिल तेल अभिषेक करते हैं।

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