हिंदु धर्म में में श्रावण मास का विशेष महत्व है। यह पवित्र महीना देवों के देव भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। पुराणों के अनुसार राहु भगवान शिव का भक्त है, यही कारण है कि भगवान शिव की उपासना करने से राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। जहां ज्योतिषशास्त्र में राहु को मर्यादा और नियम के विरुद्ध काम करवाने वाला ग्रह कहा गया है। वहीं देवताओं के "गुरु" के रूप में पूजित गुरु बृहस्पति को ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह दोनों ग्रह एक दूसरे के विपरीत माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु-गुरु की युति से बनने वाले योग को गुरु चांडाल योग कहते हैं। यह योग बहुत ही अशुभ योग माना गया है क्योंकि इस अशुभ योग के बनने से कुंडली में मौजूद शुभ योग भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे जीवन में परेशानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है और स्वास्थ्य, करियर, वैवाहिक और आर्थिक जीवन से जुड़ी समस्याएं लगी ही रहती है।
पुराणों में देव गुरु बृहस्पति को समर्पित गुरुवार के दिन राहु गुरु चांडाल दोष निवारण पूजा और हवन को अत्यंत लाभकारी माना गया है। वहीं श्रावण मास में महादेव की नगरी काशी में विराजित श्री बृहस्पति मंदिर में इस पूजा को करने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस जीवंत मंदिर में स्वतः देव गुरु विराजते है और उन्हें यह स्थान भगवान शिव ने दिया था। इसलिए श्रावण के गुरुवार के दिन काशी में विराजित श्री बृहस्पति मंदिर में राहु गुरु चांडाल दोष निवारण पूजा और हवन का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भौतिक सुख एवं समृद्धि का दिव्य आशीष प्राप्त करें।