भैरव का अर्थ है 'रक्षा करने वाला।' बाबा भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार हैं, जिनके दो मुख्य रूप हैं- काल भैरव और बटुक भैरव। कथा के अनुसार एक बार जब माँ पार्वती ने दारुक नमक असुर का वध करने के लिए माँ काली का विनाशकारी रूप धारण किया तो वो नियंत्रण से बाहर हो गयीं। माता को पुनः चेतना में लाने के लिए भगवान शिव ने एक पांच साल के बालक का रूप धारण किया और देवी को माँ कहकर पुकारने लगे जो सुनकर माँ का ह्रदय पिघल गया और उन्होंने वापस पार्वती का रूप धारण कर लिया। माता को शांत करने के लिए भगवान शिव ने जिस रूप को धारण किया था उन्हीं को 'बटुक भैरव' कहते हैं। श्री बटुक भैरव, भगवान भैरव के बाल स्वरूप हैं जिन्हें धन-धान्य एवं संपत्ति का दाता भी माना जाता है।
मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन शिव जी के इस रूप भैरव का जन्म हुआ था इसलिए कालाष्टमी तिथि पर भैरवजी की विधिवत पूजा करने से शीघ्र फल प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार स्वर्णाकर्षण भैरव पूजा, धन और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए की जाती है, जिससे आठ महान सिद्धियों की प्राप्ति होती है। भगवान भैरव के इस स्वरूप की पूजा से ऋण मुक्ति, आर्थिक समृद्धि, जीवन में स्थिरता एवं आपदाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए कालाष्टमी के दिन 28 जून 2024 को वैदिक रीतियों से इस पूजा को करने से भक्तों पर भैरव जी की विशेष कृपा बनी रहती है।