रिश्तों पर मंगल और शनि का क्या है प्रभाव ?
ज्योतिष शास्त्र में मंगल और शनि ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, क्योंकि ये ग्रह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालते हैं। यदि आप वैवाहिक जीवन में तनाव, विवाह में विलंब, अक्रामक स्वभाव, या मानसिक अस्थिरता जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो आप भी मंगल और शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से पीड़ित हो सकते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो मंगल और शनि दोनों ही ग्रह विलंब और बाधाओं को उत्पन्न कर सकते हैं। कुंडली में मंगल और शनि ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण वैवाहिक जीवन में असहमति या अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा अविवाहित जातकों के लिए विवाह में लगातार बाधाएं आने लगती हैं, जिससे विवाह में देरी होती है। इन ग्रहों की स्थिति के प्रभाव को समझना और उनका समाधान करना बहुत आवश्यक है, क्योंकि समय पर सही उपाय न करने पर ये समस्याएं और भी गंभीर रूप ले सकती हैं।
कैसे पाएं मंगल और शनि के अशुभ प्रभावों से राहत?
ज्योतिष विद्या के अनुसार, इस प्रकार की समस्याओं से राहत के लिए मंगल देव और शनि देव को समर्पित अनुष्ठान करना चाहिए। शास्त्रों में मंगल के अशुभ प्रभावों से राहत प्राप्त करने के लिए मंगल बीज मंत्र का जाप एवं हवन को लाभकारी बताया गया है। वहीं शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में तिल-तेल अभिषेक को अधिक फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि यह दोनों अनुष्ठान करने से मंगल और शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है। यदि यह अनुष्ठान विवाह पंचमी तिथि पर किया जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकता है।
आखिर क्या है विवाह पंचमी का महत्व ?
हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। इसी दिन प्रभु श्री राम ने स्वयंवर जीतकर जनक नंदिनी मां सीता से विवाह रचाया था। यही कारण है कि इस दिन विवाह से जुड़ी समस्याओं के निवारण के लिए किए जाने वाले अनुष्ठान शुभ माने जाते हैं। इसलिए श्री मंदिर द्वारा विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर उज्जैन के श्री नवग्रह शनि मंदिर में 7,000 मंगल बीज मंत्र जाप हवन एवं शनि तिल तेल अभिषेक का आयोजन कराया जा रहा है। आप भी यह पूजा बुक कर मंगल देव और शनि देव से विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।