धन और समृद्धि के आशीर्वाद के लिए महाकुंभ एकादशी त्रिवेणी संगम विशेष लक्ष्मी-नारायण पूजन एवं व्यापार वृद्धि अष्ट लक्ष्मी यज्ञ
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महाकुंभ एकादशी त्रिवेणी संगम विशेष

लक्ष्मी-नारायण पूजन एवं व्यापार वृद्धि अष्ट लक्ष्मी यज्ञ

धन और समृद्धि के आशीर्वाद के लिए
temple venue
त्रिवेणी संगम, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश
pooja date
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धन और समृद्धि के आशीर्वाद के लिए महाकुंभ एकादशी त्रिवेणी संगम विशेष लक्ष्मी-नारायण पूजन एवं व्यापार वृद्धि अष्ट लक्ष्मी यज्ञ

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🚩जानें, महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम पर इस पूजा में भाग लेना क्यों है जरुरी?
हिंदू परंपरा में महाकुंभ को सबसे शुभ और सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है, जो हर 12 साल में प्रयागराज में आयोजित होता है। "तीर्थराज" के नाम से प्रसिद्ध प्रयागराज, गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम के कारण अत्यंत पूजनीय है। यह संगम अपार आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। दरअसल महाकुंभ का इतिहास समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर हुए संघर्ष में भगवान धन्वंतरि ने 12 दिनों तक अमृत कलश को अपने पास रखा, जिसके दौरान कुछ अमृत की बूंदें छलककर पृथ्वी के चार पवित्र स्थानों प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक पर गिरीं। ये स्थान कुंभ क्षेत्र बन गए, जहाँ हर 12 साल में एक दुर्लभ खगोलीय संयोग होने पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। देवताओं के 12 दिन पृथ्वी के 12 वर्षों के बराबर होते हैं। इसलिए, महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित किया जाता है। प्रयागराज में महाकुंभ मेला तब आयोजित किया जाता है, जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होता है। यह संयोग 2025 में बना है, जोकि महाकुंभ की शुरुआत का प्रतीक है। इस अवधि के दौरान त्रिवेणी संगम में सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है, जो इसे पवित्र अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ बनाती है।

वहीं, महाकुंभ के दौरान पड़ने वाली एकादशी देवी लक्ष्मी और भगवान नारायण की पूजा के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के समय माँ लक्ष्मी आठवें रत्न के रूप में प्रकट हुईं और भगवान विष्णु को अपना जीवनसाथी चुना। यह दिव्य मिलन समृद्धि और दैवीय कृपा का प्रतीक है। इसलिए इस पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम में लक्ष्मी-नारायण पूजा और अष्ट लक्ष्मी यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। अष्ट लक्ष्मी, माँ लक्ष्मी के आठ दिव्य स्वरूप हैं, जो समृद्धि के अलग-अलग पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे धन, ज्ञान, साहस, उर्वरता और आध्यात्मिक ज्ञान आदि। मान्यता है कि इस यज्ञ में भाग लेने से माँ लक्ष्मी और भगवान नारायण का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पूजा न केवल धन और समृद्धि लाती है, बल्कि जीवन में शांति और संतुलन भी प्रदान करती है। श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य आयोजन में भाग लें और माँ लक्ष्मी और भगवान नारायण का आशीर्वाद प्राप्त करें।

त्रिवेणी संगम, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश

त्रिवेणी संगम, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, देवासुर संग्राम के बाद समुद्र मंथन के दौरान, भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। देवता और दानव दोनों अमरत्व पाने के लिए अमृत को प्राप्त करने के लिए उत्सुक थे। इस प्रयास में अमृत की कुछ बूंदें कलश से गिरकर पृथ्वी के चार पवित्र स्थलों – प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक पर गिरीं। हर 12 साल में इन्हीं स्थानों पर भव्य कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। माना जाता है कि महाकुंभ उत्सव के दौरान इन चार कुंभ क्षेत्रों में पूजा करने से भक्तों को समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद मिलता है। इन चार कुंभ स्थलों में प्रयागराज का विशेष महत्व है क्योंकि यह त्रिवेणी संगम, अर्थात गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम का स्थल है। मान्यता है कि इस पवित्र संगम में स्नान करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष (जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति) प्राप्ति की जाती है।

यही आध्यात्मिक महत्व है जिसके कारण हर 12 वर्षों में लाखों श्रद्धालु प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान एकत्र होते हैं और पवित्र स्नान के माध्यम से मोक्ष की कामना करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में भगवान ब्रह्मा ने प्रयागराज में एक यज्ञ किया था। इस पवित्र कार्य ने इस स्थल को धर्म, तपस्या और साधना के केंद्र के रूप में स्थापित किया, जिससे इसे "तीर्थराज" या तीर्थों के राजा की उपाधि मिली। समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई माँ लक्ष्मी और उसमें भाग लेने वाले भगवान विष्णु की पूजा महाकुंभ के दौरान अत्यधिक शुभ मानी जाती है। माना जाता है कि पवित्र त्रिवेणी संगम पर उनकी पूजा करने से अपार धन और समृद्धि मिलती है। विशेष रूप से एकादशी के दिन उनकी पूजा करने से इन आशीर्वादों में वृद्धि होती है।

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