सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है और अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा शुभ मानी जाती है। भगवान शिव देवों के देव महादेव हैं और अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, निशित काल में ही भगवान शिव शिवलिंग के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। आचार्यों की मानें तो इस साल मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या पर निशित काल रात्रि 11:43 बजे से शुरू होकर 12:37 बजे तक रहेगा। इसलिए श्री मंदिर द्वारा अमावस्या पर महाकाल की नगरी उज्जैन में निशित काल के दौरान रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। मान्यता है कि इस विशेष अनुष्ठान में भाग लेने से भगवान शिव द्वारा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
रुद्राभिषेक का अर्थ है रुद्र रूपी शिवलिंग का मंत्रोच्चार के साथ पवित्र जल, दूध, शहद और अन्य सामग्रियों से स्नान कराना। रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रुद्र हैं। माना जाता है कि रुद्र रुप में प्रतिष्ठित शिव मनुष्य के दुखों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। माना जाता है कि निशित काल में अभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करने का आशीर्वाद देते हैं। इस अभिषेक पूजा का महत्व तब और बढ़ जाता है जब यह महाकाल की नगरी उज्जैन में किया जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि यहां के कण-कण में भगवान शिव का वास है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और भगवान शिव का दिव्य आशीष प्राप्त करें।