क्या केतु का गोचर कर सकता है आपके मान-सम्मान और आत्मबल को प्रभावित?
केतु का गोचर 18 मई 2025 को होने जा रहा है। इस गोचर के दौरान केतु सिंह राशि में प्रवेश करेगा और वहाँ के उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में संचरण करेगा। यह नक्षत्र सूर्य देव से संबंधित माना जाता है, जोकि शक्ति, नेतृत्व और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। इस गोचर का प्रभाव मिश्रित रहेगा। कुछ राशि के जातकों के लिए यह समय आध्यात्मिक प्रगति और आत्मिक जागरूकता लेकर आ सकता है, वहीं कुछ लोगों को मानसिक तनाव, पारिवारिक असंतुलन और सामाजिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है। मान्यता है कि इस गोचर के प्रभाव से सूर्य-केतु ग्रहण दोष की सक्रियता बढ़ सकती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य और केतु एक ही भाव में स्थित होते हैं, तो कुंडली में ग्रहण दोष बनता है। यह दोष व्यक्ति के आत्मबल, निर्णय शक्ति, सामाजिक प्रतिष्ठा और पारिवारिक सामंजस्य पर गहरा असर डाल सकता है। सूर्य जहां शासन, आत्मविश्वास, सम्मान और यश के प्रतीक हैं, वहीं केतु एकांत, रहस्य, वैराग्य और अप्रत्याशितता का प्रतिनिधित्व करता है। इन दोनों ग्रहों के एक साथ प्रभाव से जीवन में अस्थिरता, भ्रम और सम्मान की हानि जैसी समस्याएं जन्म ले सकती हैं।
ऐसे समय में इस ग्रहण दोष से उत्पन्न दुष्प्रभावों को शमन करने हेतु शास्त्रों में विशेष उपाय बताए गए हैं। 18 मई के इस दुर्लभ गोचर काल में सूर्य-केतु ग्रहण दोष की शांति के लिए विशेष वैदिक अनुष्ठान जैसे 17,000 बार सूर्य-केतु मूल मंत्र जाप, ग्रहण दोष निवारण पूजा और यज्ञ को अत्यंत प्रभावकारी माना गया है। इन उपायों से न केवल ग्रहण दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है, बल्कि केतु के गोचर से उत्पन्न अन्य मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक असंतुलनों को भी संतुलित किया जा सकता है। इसीलिए, श्री बड़ा गणेश मंदिर, उज्जैन में विशेष पूजन और अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह पूजा गणेश मंदिर में इस कारण की जा रही है क्योंकि भगवान गणेश को केतु का अधिपति माना जाता है। यदि आप भी जीवन में आत्म-संशय, सम्मान की हानि या मानसिक अस्थिरता का अनुभव कर रहे हैं, तो यह समय आपके लिए अत्यंत दुर्लभ है। इस विशेष ब्रह्मांडीय संयोग में श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित अनुष्ठान में सहभागी बनें, और सूर्य तथा केतु की कृपा से अपने जीवन में यश, मान्यता, आत्मबल और मानसिक संतुलन को पुनः स्थापित करें।