अच्छे स्वास्थ्य और तनाव मुक्त जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए महाकुंभ प्रयागराज सोमवार विशेष 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि हवन
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महाकुंभ प्रयागराज सोमवार विशेष

11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि हवन

अच्छे स्वास्थ्य और तनाव मुक्त जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए
temple venue
श्री वेणी माधव मंदिर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
pooja date
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अच्छे स्वास्थ्य और तनाव मुक्त जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए महाकुंभ प्रयागराज सोमवार विशेष 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि हवन

सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। वहीं, हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है। कहते हैं कि जब बृहस्पति वृषभ राशि और सूर्य मकर राशि में होता है, तो प्रयागराज में महाकुंभ मेला लगता है। 2025 में यह संरेखण बन रहा है इसलिए इस बार प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। हालांकि कुंभ मेला की जड़ें समुद्र मंथन की प्राचीन कथा में मिलती हैं। महान ऋषि दुर्वासा के श्राप से तीनों लोकों की समृद्धि गायब हो गई और परिणामस्वरूप देवी लक्ष्मी के आठ रूप क्षीर सागर की गहराई में समा गए। जिन्हें वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने देवों और असुरों को समुद्र मंथन करने के लिए राजी किया। वर्षों तक मंथन के बाद समुद्र से चौदह अमूल्य खजाने निकले, जिनमें एक भगवान धन्वंतरि भी थे, जो अमृत कलश लिए प्रकट हुए। हालांकि उन्हें उस समय धनवंतरि का दर्जा नहीं मिला, लेकिन भगवान शिव ने वचन दिया कि द्वापर युग में वह एक राजघराने में जन्म लेंगे जहाँ आयुर्वेद के ज्ञान का प्रचार करेंगे। वो तीनों लोकों में स्वास्थ्य और कल्याण प्रदान करने वाले देवता के रूप में पूजनीय होंगे।

वहीं, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। मान्यता यह भी है कि अगर महाकुंभ के दौरान सोमवार को भगवान शिव की पूजा की जाए तो यह अत्यंत शुभ होगा क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इसलिए महाकुंभ प्रयागराज में सोमवार को 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि हवन करने से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों से मुक्ति का आशीष प्राप्त होगा। इस समय किए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठानों में धन्वंतरि हवन का विशेष महत्व है। इसलिए, महाकुंभ प्रयागराज सोमवार के दौरान प्रयागराज के श्री वेणी माधव मंदिर में 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इसमें भाग लें और अच्छे स्वास्थ्य व तनाव मुक्त जीवन का आशीष पाएं।

श्री वेणी माधव मंदिर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

श्री वेणी माधव मंदिर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
वेणी माधव मंदिर, जिसे लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, प्रयागराज के पवित्र शहर में स्थित है। यह क्षेत्र में भगवान विष्णु को समर्पित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और इसे बेनी माधव मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर को प्रयागराज के बारह द्वादश माधव मंदिरों में से एक होने का गौरव प्राप्त है। जिस तरह काशी भगवान शिव की नगरी है, उसी तरह प्रयागराज को भगवान विष्णु की नगरी कहा जाता है। यह प्राचीन मंदिर मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण और पद्म पुराण जैसे पवित्र ग्रंथों में वर्णित है। इसे प्रयागराज में भगवान विष्णु के पहले निवास स्थान के रूप में जाना जाता है। भगवान विष्णु यहां वेणी माधव के रूप में त्रिवेणी संगम की पवित्रता की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि त्रेता युग में गजकर्ण नाम का एक भयानक राक्षस तीनों लोकों में उत्पात मचाने लगा और सभी को बहुत कष्ट दिया। भगवान विष्णु ने नारद मुनि को भेजा, जिन्होंने गजकर्ण को सही मार्ग दिखाने की कोशिश की।

नारद मुनि की सलाह पर गजकर्ण ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया और उसके सारे कष्ट दूर हो गए। लेकिन अपने लालच के कारण उसने तीनों नदियों (गंगा, यमुना और सरस्वती) का सारा पानी पी लिया, जिससे भयंकर सूखा पड़ गया। लोगों की पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने गजकर्ण से तीन दिन तक भीषण युद्ध किया और अंत में उसे मारकर नदियों का प्रवाह फिर से शुरू किया। इसके बाद भगवान विष्णु ने वेणी माधव के रूप में प्रयागराज में हमेशा के लिए रहने का निर्णय लिया। माघ महीने में वेणी माधव मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें भगवान का आशीर्वाद मिलता है। यह मंदिर भगवान विष्णु की शक्ति और दया का प्रतीक है, जो हर भक्त को शांति और आशा प्रदान करता है।

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