पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति और पारिवारिक विवादों के समाधान के लिए महाकुंभ 4 कुंभ क्षेत्र विशेष त्रिवेणी संगम पितृ दोष शांति महापूजा, मंगलनाथ महाभिषेक एवं हरिद्वार गंगा आरती
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महाकुंभ 4 कुंभ क्षेत्र विशेष

त्रिवेणी संगम पितृ दोष शांति महापूजा, मंगलनाथ महाभिषेक एवं हरिद्वार गंगा आरती

पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति और पारिवारिक विवादों के समाधान के लिए
temple venue
त्रिवेणी संगम, मंगलनाथ महादेव मंदिर, हरिद्वार गंगा घाट, श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर, प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार, नासिक, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र
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पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति और पारिवारिक विवादों के समाधान के लिए महाकुंभ 4 कुंभ क्षेत्र विशेष त्रिवेणी संगम पितृ दोष शांति महापूजा, मंगलनाथ महाभिषेक एवं हरिद्वार गंगा आरती

सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। महाकुंभ का आयोजन भारत के चार पवित्र स्थलों_प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में किया जाता है, जिसमें प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है। इसके पीछे एक मान्यता है कि, जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से अमृत का कलश लेकर आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि प्रकट हुए। अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष छिड़ा। इस संघर्ष से अमृत को सुरक्षित रखने के लिए धन्वंतरि जी करीब 12 वर्षों तक ब्रह्मांड में अमृत कलश लेकर घूमते रहे। इस दौरान, अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों में गिर गईं। इन्हीं चार स्थानों को पवित्र मानते हुए, यहां हर 3 वर्षों में कुंभ का आयोजन किया जाता है। वहीं इस दौरान पूर्णिमा भी पड रही है जो सभी तिथि में बहुत खास मानी जाती है। इस दिन पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए पितरों की पूजा भी कर सकते हैं।

इसलिए श्री मंदिर द्वारा महाकुंभ के दौरान पूर्णिमा पर प्रमुख चार कुंभ क्षेत्रों में से एक त्रिवेणी संगम पर पितृ दोष शांति महापूजा की आयोजन कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित मंगलनाथ महादेव मंदिर में मंगलनाथ महाभिषेक एवं हरिद्वार में गंगा आरती का आयोजन भी कराया जा रहा है। हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार 'पितृ दोष' पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। इस दोष के कारण आर्थिक परेशानियां, रिश्तों में तनाव एवं विवाद और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। मान्यता है कि महाकुंभ में पूर्णिमा के दिन इन प्रमुख क्षेत्रों में यह पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति और पारिवारिक विवादों के समाधान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को लेकर मान्यता है कि यहां रुद्राभिषेक करने से सभी प्रकार के कष्टों का नाश होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति एवं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस अतिरिक्त विकल्प का चयन करें।

त्रिवेणी संगम, मंगलनाथ महादेव मंदिर, हरिद्वार गंगा घाट, श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर, प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार, नासिक, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र

त्रिवेणी संगम, मंगलनाथ महादेव मंदिर, हरिद्वार गंगा घाट, श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर, प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार, नासिक, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, देवासुर संग्राम के बाद समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। देवताओं और असुरों दोनों ने अमृत से अमरता की इच्छा की और उसे प्राप्त करने के लिए उसका पीछा किया। इस प्रक्रिया में कुछ अमृत कलश से गिरकर पृथ्वी पर चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक—पर गिर गया। हर 12 वर्ष में इन स्थानों पर महाकुंभ मेला आयोजित होता है। मान्यता है कि महाकुंभ मेले के दौरान इन चार कुंभ क्षेत्रो में पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।

चार कुंभ क्षेत्रो में से एक प्रयागराज है, जहाँ त्रिवेणी संगम स्थित है। त्रिवेणी संगम को अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। यह वह स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती तीनों नदियाँ एक साथ मिलती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस संगम में स्नान करता है, वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है, अर्थात जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करता है। इसीलिए हर 12 वर्षों में कुंभ मेले का आयोजन यहाँ होता है, जहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान कर मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं।

मध्यप्रदेश में स्थित महाकाल की नगरी ‘उज्जैन’ को सभी तीर्थ क्षेत्रों में श्रेष्ठ माना गया है। मान्यता है इस नगरी में मंगल ग्रह की शांति के लिए 'मंगलनाथ मंदिर' से बढ़कर कोई स्थान नहीं है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में मंगल दोष होता है, वो अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में पूजा-पाठ करवाने आते हैं। मत्स्य पुराण के अनुसार मंगलनाथ उज्जैन को मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना गया है। मान्यता है कि इस स्थान पर मंगलग्रह की सीधी किरणें पड़ती हैं। इस पवित्र स्थान से कर्क रेखा भी गुजरती है।

पूरे विश्व में हरिद्वार, एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है, इसे कुंभ नगरी के नाम से भी जाना जाता है। महाकुंभ के दौरान हजारों लाखों की संख्या में देश-विदेश से लोग गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। वहीं, हरिद्वार में कुछ प्राचीन घाट भी हैं जिनकी मान्यता प्राचीन ग्रंथों में भी लिखी हुई है। श्री गंगा घाट पर इस पूजा को करने से पितृ दोष का निवारण होता है। मान्यता है कि यहां पूरे रीति-रिवाजों के नारायण बलि पूजा आत्मा को शुद्धि प्रदान करते हैं।

इसी तरह, नासिक, जो चार कुंभ क्षेत्रो में से एक है वो त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग के लिए प्रसिद्ध है। यह ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से प्रसिद्ध है क्योंकि यहां एक ही स्थान पर तीन शिवलिंग स्थापित हैं। ये तीन शिवलिंग त्रिदेव_भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के प्रतीक माने जाते हैं। मंदिर के पास ही पवित्र गोदावरी नदी ब्रह्मगिरी पर्वत से निकलती है। मान्यता है कि महाकुंभ के पवित्र पर्व के दौरान त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग पर रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और इस जीवन एवं पूर्वजन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।

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