🔱 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में भव्य रुद्राभिषेक :  खराब स्वास्थ्य, बुरी नजर और नकारात्मकता से राहत पाने का शिवमयी अवसर 🔱
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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग सोमवार शिव आराधना विशेष

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव रुद्राभिषेक

अच्छे स्वास्थ्य और बुरी नज़र, नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए
temple venue
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
pooja date
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🔱 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में भव्य रुद्राभिषेक : खराब स्वास्थ्य, बुरी नजर और नकारात्मकता से राहत पाने का शिवमयी अवसर 🔱

हिंदू धर्म में सोमवार को भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र और शक्तिशाली दिन माना गया है। ऐसा माना जाता है कि यह दिन आत्मा की गहराई से भगवान शिव के निकट जाने का समय होता है, जब हर प्रार्थना, हर जप और हर अभिषेक साधक के जीवन में एक नई ऊर्जा भर सकते हैं। यह समय मन, कर्म और आत्मा की गहराई से शुद्धि और ईश्वर से जुड़ाव का अवसर देता है। इसीलिए, अश्विन महीने के आखिरी सोमवार को घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में भव्य रुद्राभिषेक का आयोजन होने जा रहा है।

🔱 बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में अंतिम और अति पूजनीय स्थान पर है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो महाराष्ट्र के देवगिरि पर्वत के पास स्थित है। यह केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि शिवभक्ति की अमिट गाथा का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, घुश्मा नाम की एक महिला हर दिन 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करती थीं और उन्हें एक सरोवर में प्रवाहित करती थीं। एक दिन उसकी बहन ने ईर्ष्या में आकर अपनी ही बहन के पुत्र को मार डाला, फिर भी घुश्मा ने अपनी पूजा नहीं छोड़ी।

🔱 उनकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और उनके बेटे को जीवनदान दिया और वर मांगने को कहा। घुश्मा ने बहन को क्षमा करने और उसी स्थान पर सदा निवास करने का अनुरोध किया। महादेव ने उनकी बात मान ली और कहा कि वे यहाँ ‘घुश्मेश्वर’ (या घृष्णेश्वर) नाम से निवास करेंगे।

🔱 इसी श्रद्धा और परंपरा को ध्यान में रखते हुए इस सोमवार को घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पर शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष पूजन में जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर जैसे द्रव्यों से अभिषेक किया जाएगा, साथ ही रुद्र मंत्रों का पाठ और हवन की विधि भी की जाएगी। यह पूजा उन श्रद्धालुओं के लिए है, जो लंबे समय से किसी न किसी मानसिक उलझन, बीमारी या घर-परिवार के माहौल में असंतुलन का अनुभव कर रहे हैं। घृष्णेश्वर में किया गया रुद्राभिषेक मन को स्थिर कर सकता है और मन की ऊर्जा को सहज और संतुलित बनाए रखने में सहायक माना गया है।

यदि आप भी घर-परिवार को खुशहाली, समृद्धि और बेहतर सेहत की दिशा में ले जाना चाहते हैं तो श्री मंदिर के माध्यम से इस भव्य रुद्राभिषेक में भाग लें और भगवान शिव की भक्ति में मन लगाएं।

श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र

श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की देवगिरी पहाड़ियों के पास स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग बारहवां और अंतिम ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जो सच्ची भक्ति की शक्ति का प्रतीक है। इसकी पौराणिक कथा भगवान शिव की एक महान भक्त घुश्मा की अनन्य आस्था से जुड़ी हुई है। एक ब्राह्मण सुधर्मा अपनी पत्नी सुदाहा के साथ देवगिरी क्षेत्र में निवास करता था। संतान प्राप्त न होने के कारण सुदाहा ने अपने पति का विवाह अपनी छोटी बहन घुश्मा से करवा दिया। घुश्मा शिव की परम भक्त थीं और प्रतिदिन 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर उन्हें पास के एक तालाब में विसर्जित करते हुए श्रद्धापूर्वक पूजा करती थीं। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें एक पुत्र का वरदान दिया।

लेकिन बहन की इस खुशी को देखकर सुदाहा के मन में ईर्ष्या उत्पन्न हो गई और उसने क्रूरता से उस बच्चे की हत्या कर दी तथा उसका शव तालाब में फेंक दिया। जब घुश्मा को इस दुःखद घटना की जानकारी मिली, तब भी उन्होंने अपना विश्वास नहीं खोया और शांतचित्त होकर शिव की पूजा करती रहीं। उनकी सच्ची भक्ति से भावुक होकर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए, उनके बेटे को जीवनदान दिया और वर मांगने को कहा। घुश्मा ने बहन को क्षमा करने और उसी स्थान पर सदा निवास करने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने उनकी बात मान ली और कहा कि वे यहाँ "घुश्मेश्वर" नाम से प्रतिष्ठित होंगे। यहीं से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई और आज भी श्रद्धालु घुश्मा की भक्ति की स्मृति में मंदिर की 101 परिक्रमा करते हैं, यह मानते हुए कि जहां सच्ची श्रद्धा होती है, वहां भगवान स्वयं प्रकट हो जाते हैं।

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