सनातन धर्म में माघ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा के लिए समर्पित होता है। जिसमें इनकी गुप्त रूप से पूजा की जाती है। वहीं इस दौरान पड़ने वाली अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी के नाम से जाना जाता है। मां काली, जोकि दस महाविद्याओं में से एक हैं, इस दिन विशेष रूप से पूजी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि कोई भक्त यदि इस दिन सच्ची श्रद्धा से मां काली की पूजा करता है, तो स्वयं मां काली उनकी नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से सुरक्षा करती हैं। मान्यता यह भी है कि यदि इस शुभ समय पर मां काली के साथ पंचमुखी हनुमान जी की पूजा की जाए, तो इस अनुष्ठान के प्रभाव कई गुना बढ़ जाते हैं। इसलिए माघ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर कोलकाता स्थित कालीघाट मंदिर में मां काली और पंचमुखी हनुमान जी की संयुक्त पूजा का आयोजन किया जा रहा है। शास्त्रों में पंचमुखी हनुमान और मां काली के बीच के दिव्य संबंध से जुड़ी कई रोचक कथाएं पाई जाती हैं।
कथानुसार, अहिरावण और महिरावण पाताल लोक के जादूगर और मां काली के भक्त थे जिन्होंने पूरी वानर सेना को नींद में सुलाकर भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक में बंदी बना लिया था। इस संकट से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी ने मां काली का आह्वान किया था। मां काली के आशीर्वाद से ही हनुमान जी ने दोनों जादूगरों का वध कर भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया था। वहीं पाताल लोक में भी जब हनुमान जी को मकरध्वज से मुठभेड़ और पांच जादुई दीपों को बुझाने की चुनौती मिली, तब उन्होंने पंचमुखी रूप में दीपों को बुझाकर जादूगरों को हराया था। कुछ कथाओं में यह भी कहा जाता है कि मां काली ने ही हनुमान जी को विशेष शक्ति दी थी, जिससे उनका संकल्प सफल हुआ। यह कथा एक ओर जहां मां काली की शक्ति, ब्रह्मांडीय संतुलन, धार्मिकता की सेवा और अहंकार व अज्ञानता के विनाश का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर भगवान हनुमान की भक्ति और काली शक्तियों पर विजय का भी प्रतीक है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से माघ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी पर आयोजित इस विशेष पूजा में भाग लेकर मां काली और भगवान हनुमान का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।