सनातन धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है और यह चतुर्मास का अंतिम महीना है। कार्तिक मास में भगवान शिव की पूजा करना फलदायी माना जाता है क्योंकि कहा जाता है कि चतुर्मास अर्थात इन चार महीनों तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। मान्यता है कि इस मास में भगवान शिव की पूजा करने से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है चाहें वो राहु दोष ही क्यों न हो। मान्यता है कि राहु के प्रकोप से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि राहु स्वंय भगवान शिव के भक्त हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु एक छाया और प्रभावशाली ग्रह है जो कि कुंडली के किसी भी भाव में मौजूद रहकर जीवन में गहरा प्रभाव उत्पन्न कर सकता है। राहु के नकारात्मक प्रभावों से व्यक्ति के जीवन में मानसिक अस्थिरता, भय एवं चिंता जैसी कई तरह की समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। यदि किसी जातक पर राहु की बुरी दृष्टि पड़ जाए तो वह व्यक्ति दिन पर दिन शारीरिक रूप से कमजोर होने लगता है और बुरी आदतों में फंस जाता है। राहु के प्रकोप से पीड़ित व्यक्ति आत्मविश्वासी और कलंक का भी भागी हो सकता है।
ज्योतिष विद्या में राहु के प्रकोप से बचने के लिए कुछ निवारण भी बताएं गए है। ज्योतिषियों के अनुसार, यदि राहु द्वारा शासित किसी भी नक्षत्र में शिव मंदिर में राहु की पूजा की जाए तो राहु के नकारात्मक प्रभावों से राहत पायी जा सकती है। इसलिए इस निवारण पद्धति का अनुसरण करते हुए भगवान शिव को समर्पित सोमवार के दिन और राहु द्वारा शासित शतभिषा नक्षत्र के दौरान उत्तराखंड के राहु पैठाणी मंदिर में राहु ग्रह शांति पूजा: 18000 राहु मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है। यह मंदिर उन मंदिरों में से एक है जहां भगवान शिव के साथ राहु की भी पूजा की जाती है। इसलिए मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलने के साथ भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्री मंदिर द्वारा इस विशेष पूजा में भाग लें और मानसिक स्थिरता और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीष प्राप्त करें।