✨ इस अश्लेषा नक्षत्र विशेष अवसर पर शत्रु, नकारात्मक ऊर्जा और अदृश्य बाधाओं से बचाव के लिए काल भैरव और माँ बगलामुखी का दिव्य संरक्षण प्राप्त करें। 🙏🔱
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अश्लेषा नक्षत्र भैरव-बगलामुखी कवच ​​महा अनुष्ठान

बगलामुखी स्तम्भन महाविद्या पूजा के साथ काल भैरव रक्षा यज्ञ

नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरे प्रभावों और छिपे हुए शत्रुओं से सुरक्षा के लिए
temple venue
माँ बगलामुखी मंदिर, काल भैरव मंदिर, उज्जैन, काशी
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✨ इस अश्लेषा नक्षत्र विशेष अवसर पर शत्रु, नकारात्मक ऊर्जा और अदृश्य बाधाओं से बचाव के लिए काल भैरव और माँ बगलामुखी का दिव्य संरक्षण प्राप्त करें। 🙏🔱

जीवन में कई बार ऐसी अदृश्य शक्तियाँ सक्रिय रहती हैं जो हमारी प्रगति, आत्मविश्वास और सफलता में बाधा डालती हैं। ये शक्तियाँ कभी ईर्ष्या, षड्यंत्र, अपमान या नकारात्मक विचारों के रूप में प्रकट होती हैं, तो कभी कानूनी झंझट, बदनामी, शत्रुता या तंत्र-मंत्र जैसी अदृश्य बाधाओं के रूप में। इन सबका प्रभाव धीरे-धीरे हमारे जीवन की गति को धीमा कर देता है। ऐसे समय में काल भैरव और माँ बगलामुखी की संयुक्त उपासना एक अद्वितीय आध्यात्मिक कवच का रूप लेती है।

🌸 23 अक्टूबर 2025 को अश्लेषा नक्षत्र, कृष्ण पक्ष दशमी और गुरुवार का दुर्लभ संयोग बन रहा है। अश्लेषा नक्षत्र, राहु द्वारा शासित, छिपे हुए विष जैसे ईर्ष्या, छल, षड्यंत्र को सतह पर लाने और उनके निवारण के लिए जाना जाता है। वहीं, कृष्ण पक्ष दशमी विजय और आसुरी शक्तियों के विनाश से जुड़ी तिथि है, जो शत्रु और बाधाओं के निवारण के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है। गुरुवार बृहस्पति देव का दिन है, जो धर्म, सत्य और वाणी के नियंत्रण से संबंधित है और यह विशेष रूप से अपमान, बदनामी और वाणी से उत्पन्न विवादों के निवारण के लिए शुभ माना जाता है।

इस दिन संपन्न होने वाला अनुष्ठान काल भैरव और माँ बगलामुखी की संयुक्त शक्ति को जागृत करता है। काल भैरव, सभी शक्तिपीठों के रक्षक, साधक को अदृश्य खतरों, तांत्रिक बाधाओं और अचानक दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं। माँ बगलामुखी, दस महाविद्याओं में से एक, अपने स्तम्भन बल से शत्रुओं की वाणी और क्रियाशक्ति को निष्क्रिय करती हैं। वे ईर्ष्या, बदनामी और शत्रुता की जड़ों को शांत कर जीवन में संतुलन और विजय सुनिश्चित करती हैं।

इस महा अनुष्ठान के दौरान -

बटुक भैरव मंदिर में 11,000 मूल मंत्र जाप और रक्षा हवन संपन्न होगा।
माँ बगलामुखी पीठ पर 11,000 बीज मंत्र जाप, स्तम्भन हवन और कवच पाठ संपन्न होगा।
अंत में दीपदान द्वारा अश्लेषा की अंधकारमयी ऊर्जा को प्रकाश में बदलने का प्रतीकात्मक अनुष्ठान किया जाएगा।

🙏 यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए अनुशंसित है जो कानूनी मामलों में उलझे हैं, कार्यक्षेत्र में राजनीति या षड्यंत्र का सामना कर रहे हैं, परिवार या समाज में ईर्ष्या से प्रभावित हैं, या जिन्हें छिपे हुए शत्रुओं का भय रहता है। काल भैरव को रक्षक और माँ बगलामुखी को मौन शक्ति के रूप में आमंत्रित कर साधक एक बहु-स्तरीय आध्यात्मिक कवच प्राप्त करता है।

✨ इस दिव्य अवसर पर भाग लेकर आप शत्रु बाधाओं, नकारात्मकता और अदृश्य शक्तियों से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में विजय, स्थिरता और आशीर्वाद की अनुभूति कर सकते हैं। 🌸

माँ बगलामुखी मंदिर, काल भैरव मंदिर, उज्जैन, काशी

माँ बगलामुखी मंदिर, काल भैरव मंदिर, उज्जैन, काशी
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित मां बगलामुखी मंदिर, भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं और इन्हें स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है, यानि ये देवी शत्रुओं को निष्क्रिय करने की शक्ति रखती हैं। उज्जैन का यह मंदिर विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो जीवन में विघ्नों का सामना कर रहे हों और अधिकार, विजय तथा संरक्षण प्राप्त करना चाहते हों। इस मंदिर में माँ बगलामुखी की पूजा अर्चना विशेष रूप से की जाती है और यहाँ के अनुष्ठानों में विशेष प्रकार के जप, तांत्रिक क्रियाएँ और होम हवन शामिल हैं। भक्त अपने मनोरथ सिद्धि के लिए यहाँ विशेष प्रार्थनाएँ भी करते हैं। मंदिर का वातावरण बहुत ही शांत और आध्यात्मिक होता है, जो भक्तों को आंतरिक शांति प्रदान करता है। माँ बगलामुखी की उपासना से भक्तों को न केवल मानसिक और आध्यात्मिक बल मिलता है, बल्कि यह उन्हें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति भी प्रदान करती है। भक्तों का मानना है कि मनोकामनाओं की पूर्ति यहां होती है।

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित काल भैरव का ये चमत्कारी मंदिर है। यह शहर के संरक्षक यानी सेनापति काल भैरव को समर्पित है। क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित, यह शहर के सबसे सक्रिय मंदिरों में से एक है, जहां रोजाना सैकड़ों भक्त आते हैं। काल भैरव का यह मंदिर लगभग छह हजार साल पुराना माना जाता है। यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। प्राचीन समय में यहां सिर्फ तांत्रिकों को ही आने की अनुमति थी। वे ही यहां तांत्रिक क्रियाएं करते थे और कुछ विशेष अवसरों पर काल भैरव को मदिरा का भोग भी चढ़ाया जाता था। लेकिन वर्तमान में ये मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया, लेकिन बाबा ने भोग स्वीकारना यूं ही जारी रखा। अब यहां जितने भी दर्शनार्थी आते हैं, बाबा को भोग जरूर लगाते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां बाबा तश्करी में मदिरा रखकर काल भैरव के मुख के पास ले जाते ही सबके आंखों के सामने ही तश्करी में रखी मदिरा खाली हो जाती है। भगवान भैरव को यहां मदिरा पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। यह कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ, यह कोई नहीं जानता। यहां आने वाले लोगों और पंडितों का कहना है कि वे बचपन से भैरव बाबा को भोग लगाते आ रहे हैं, जिसे वे खुशी-खुशी ग्रहण भी करते हैं।

மதிப்புரைகள் மற்றும் மதிப்பீடுகள்

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