क्या मानसिक तनाव और रुकावटें जीवन में लगातार आ रही हैं? 🌑 शायद वजह राहु-चंद्र ग्रहण दोष हो! 🔱
पूर्णिमा और राहु-शासित स्वाति नक्षत्र के दुर्लभ संयोग में, पाएँ राहु-चंद्र दोष से मुक्ति का शुभ अवसर! 🌕🔮
सनातन धर्म में पूर्णिमा के पर्व का विशेष महत्व है। भक्त इस दिन के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था व्यक्त करने के लिए व्रत एवं दान-पुण्य करते हैं। इस बार यह पूर्णिमा विशेष है क्योंकि इस दिन स्वाति नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो राहु द्वारा शासित माना जाता है। यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है, जिसे वैदिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना गया है, विशेषकर उन साधकों के लिए जो राहु-चंद्र ग्रहण दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब कुंडली में राहु और चंद्रमा एक ही भाव में हों या राहु की दृष्टि चंद्रमा पर पड़े, तब राहु-चंद्र ग्रहण दोष उत्पन्न होता है। यह दोष मानसिक तनाव, भ्रम, निर्णय में अस्थिरता, पारिवारिक समस्याएं और जीवन में बार-बार आ रही बाधाओं का कारण बनता है। इससे व्यक्ति का मन और भाग्य दोनों प्रभावित होते हैं। ऐसे में पूर्णिमा और राहु द्वारा शासित स्वाति नक्षत्र के संयोग में राहु और चंद्रमा से संबंधित बीज मंत्रों का जाप और विशेष ग्रहण दोष शांति यज्ञ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह उपाय न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि ग्रहों की नकारात्मकता को भी शांत करता है और जीवन में स्थिरता लाता है।
क्या आप जानते हैं राहु और चंद्रदेव के बीच क्यों है इतना गहरा टकराव? 🌑🌕
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय असुर स्वरभानु ने देवताओं का रूप धारण कर अमृत पान कर लिया था। सूर्य और चंद्रमा ने उसका भेद उजागर किया, जिसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत पान कर लेने के कारण उसका सिर 'राहु' और धड़ 'केतु' के रूप में अमर हो गया। तभी से राहु सूर्य और चंद्रमा को समय-समय पर ग्रसता है, जिससे ग्रहण की घटनाएं घटती हैं। इसे राहु-चंद्र दोष भी कहा जाता है, जो विशेष रूप से चंद्र ग्रहण के समय अत्यधिक प्रभावी होता है। इस विशेष अवसर पर, वैशाख शुक्ल पूर्णिमा और स्वाति नक्षत्र के शुभ संयोग में उत्तराखंड के प्रसिद्ध राहु पैठानी मंदिर में एक दिव्य अनुष्ठान आयोजित किया जाएगा। इसमें 18,000 राहु बीज मंत्र और 10,000 चंद्र बीज मंत्रों का जाप तथा राहु-चंद्र ग्रहण दोष शांति यज्ञ सम्पन्न होगा। इस यज्ञ को ब्रह्म मुहूर्त में सम्पन्न किया जाएगा, जो हमारे शास्त्रों में सबसे पवित्र और शक्तिशाली समय माना गया है, जब सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस दुर्लभ और प्रभावशाली पूजा में भाग लेकर राहु-चंद्र दोष से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में मानसिक शांति, बाधा निवारण और सौभाग्य की प्राप्ति कर सकते हैं।