निर्भयता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए केतु का दिन एवं नक्षत्र ज्योर्तिलिंग विशेष काल सर्प दोष शांति पूजा
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निर्भयता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए केतु का दिन एवं नक्षत्र ज्योर्तिलिंग विशेष काल सर्प दोष शांति पूजा
केतु का दिन एवं नक्षत्र ज्योर्तिलिंग विशेष

काल सर्प दोष शांति पूजा

निर्भयता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए
temple venue
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश
pooja date
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srimandir devotees
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निर्भयता और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए केतु का दिन एवं नक्षत्र ज्योर्तिलिंग विशेष काल सर्प दोष शांति पूजा

सनातन धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। यह मास भगवान शिव और भगवान विष्ण दोनों की पूजा के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि इस मास तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं और भगवान विष्णु को सृष्टि का कार्यभार सौंपते हैं। मान्यता है कि इस माह में भगवान शिव की पूजा करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषियों का कहना है कि अगर आपको सांप और मृत व्यक्तियों से जुड़े सपने आ रहे हैं या लगातार बुरे सपने आ रहे हैं। इसके अलावा अगर आप मानसिक अस्थिरता, अकेलेपन की भावना, बेवजह गुस्सा, बार-बार व्यापार में घाटा, रिश्तों में परेशानी या खराब स्वास्थ्य जैसी समस्याओं को सामना कर रहे हैं तो यह आपकी कुंडली में काल सर्प दोष की उपस्थिति का संकेत हो सकता है। काल सर्प दोष तब होता है जब कुंडली में सभी सात ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। इस दोष को ज्योतिष में सबसे अशुभ योगों में से एक माना जाता है। इस दोष से जुड़े नकारात्मक प्रभावों से राहत पाने के लिए काल सर्प दोष शांति पूजा करना लाभकारी माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में बुधवार को केतु का कारक माना जाता है। इस दिन केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। माना जाता है कि बुधवार के दिन एवं केतु के नक्षत्र में यह पूजा करने से भक्तों को निर्भयता प्राप्त होती है और उन्हें मानसिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद मिलती है। ज्योतिर्लिंग पर की जाने वाली इस पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है और इसे स्वयंभू लिंग माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, काल सर्प दोष व्यक्ति के पिछले कर्मों के कारण होता है और शास्त्रों में कहा गया है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। चूंकि काल सर्प दोष पिछले कर्मों से संबंधित है और यह मंदिर पापों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए ओंकारेश्वर में यह पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। इसलिए बुधवार एवं केतु द्वारा शासित मूल नक्षत्र में श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में काल सर्प दोष शांति पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और इस दोष से राहत पाने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खंडवा, मध्य प्रदेश
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, इन्हें स्वयंभू लिंग माना जाता है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नाम के द्वीप पर स्थित है। यहां ज्योतिर्लिंग दो स्वरूप में मौजूद है। जिनमें से एक को ममलेश्वर के नाम से और दूसरे को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। ममलेश्वर नर्मदा के दक्षिण तट पर ओंकारेश्वर से थोड़ी दूर स्थित है। अलग होते हुए भी इनकी गणना एक ही की जाती है। ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था। वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ के बिना नहीं होता है। मान्यता है कि मां नर्मदा भी यहां स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। शास्त्रों के अनुसार ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा का उल्लेख है।

पौराणिक कथा के अनुसार भोलेनाथ तीनों लोकों के भ्रमण के बाद यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं। कहते हैं पृथ्वी पर ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती रोज चौसर पांसे खेलते हैं। रात्रि में शयन आरती के बाद यहां प्रतिदिन चौपड़ बिछाए जाते हैं और गर्भग्रह बंद कर दिया जाता है। आश्चर्य की बात है कि जिस मंदिर के भीतर रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार पाता है वहां हर दिन चौपड़ बिखरे पाए जाते हैं। यह तथ्य इस मंदिर के धार्मिक महत्व को और बढा देता है यही कारण है कि सभी तीर्थों के दर्शन पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन विशेष महत्व है। तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं अन्यथा वे अधूरे ही माने जाते हैं।

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