🌊 गंगा दशहरा: आरोग्य और संरक्षण का अद्भुत दिन
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा माँ गंगा के धरती पर अवतरण का पावन उत्सव है। राजा भगीरथ की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने गंगा को अपने कमंडल से प्रवाहित किया, और उनके प्रचंड वेग को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में साधकर धरा पर उतरने लायक बनाया। इस कारण माँ गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि मोक्षदायिनी हैं—पापों का क्षालन, रोगों का नाश और जीवन का उत्थान करने वाली।
चूँकि शिव जी ने गंगा अवतरण में निर्णायक भूमिका निभाई, इस दिन उनका पूजन भी समग्र आरोग्य के लिए परम फलदायी माना जाता है। इसी शक्तिशाली संयोजन को जाग्रत करने हेतु श्री मंदिर द्वारा आयोजित है—
गंगा कवच अभिषेक, अस्सी घाट पर: माँ गंगा के जल और मंत्र से सुरक्षात्मक दिव्य कवच की स्थापना।
11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप व आरोग्य सिद्धि यज्ञ, श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर (काशी) में: शिव-शक्ति की आरोग्यकारी ऊर्जा से दीर्घायु व रोग प्रतिरोध।
माना जाता है कि गंगा कवच अभिषेक अदृश्य नकारात्मक प्रभावों से ढाल प्रदान करता है, जबकि महामृत्युंजय यज्ञ शरीर-मन की रोगभक्षी शक्ति को सक्रिय कर दीर्घकालिक स्वास्थ्य लौटाता है। इस गंगा दशहरा पर माँ गंगा व भगवान शिव की संयुक्त कृपा से नकारात्मकता, दीर्घ रोग और अनजाने संकटों से पूरी तरह सुरक्षित हों।