पितृ दोष से परेशान हैं? 🤔 जानिए, कैसे गंगा दशहरा के इस पावन अवसर पर आप भी पा सकते हैं इस दोष से मुक्ति का मार्ग 🙏🌸
गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन माँ गंगा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। कथानुसार, राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से पृथ्वी पर भेजा। परंतु गंगा का प्रवाह अत्यंत तीव्र था, जिससे पृथ्वी का नाश होने का भय था। इसलिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को धारण किया और उनके वेग को संयमित कर धीरे-धीरे पृथ्वी पर उतारा। इस प्रकार गंगा का अवतरण हुआ, जिसे गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
माँ गंगा को केवल एक नदी नहीं, बल्कि मोक्षदायिनी देवी माना जाता है। उनका अवतरण पितृ शांति और पूर्वजों की मुक्ति के लिए हुआ था, इसलिए गंगा दशहरा का दिन पितृ दोष निवारण और पूर्वजों की कृपा प्राप्ति के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
जानें पितृ दोष से संबंधित प्रभाव और समाधान के उपाय 🌿
पितृ दोष का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में गहरी चिंता, आर्थिक रुकावट, लगातार स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ और पारिवारिक तनाव के रूप में सामने आता है। यह दोष केवल वर्तमान जीवन को ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित करता है। शास्त्रों में पितृ दोष की शांति के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं, जैसे – तीन तीर्थों में तर्पण करना, गंगा जल से श्राद्ध करना, और पिंड दान करना। खासतौर पर जब ये उपाय गंगा दशहरा जैसे शुभ दिन पर किए जाएँ, तो इनका फल कई गुना अधिक बढ़ जाता है। इसीलिए इस पावन अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से एक विशेष 3-तीर्थ पितृ शांति अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है, जिसमें भाग लेकर श्रद्धालु गंगोत्री, हरिद्वार और काशी जैसे तीन पवित्र तीर्थों का आध्यात्मिक लाभ एक साथ प्राप्त कर सकते हैं:
गंगोत्री धाम – यहाँ राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माँ गंगा को पृथ्वी पर लाया और यहीं से उनका प्रवाह प्रारंभ हुआ।
हरिद्वार (गंगा घाट) – यहाँ भक्त माँ गंगा में स्नान कर पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। इसे मोक्ष का प्रवेश द्वार माना गया है।
काशी (अस्सी घाट) – यहाँ माँ गंगा भगवान शिव के संग निवास करती हैं और मोक्षदायिनी के रूप में पूजी जाती हैं।
इस गंगा दशहरा पर माँ गंगा की कृपा प्राप्त कर अपने जीवन में शांति, ऊर्जा और आध्यात्मिक जागृति का अनुभव करें।