सनातन धर्म में हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों में, इस दिन शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और मां काली की पूजा करना शुभ और फलदायी माना गया है। माना जाता है कि दुर्गा अष्टमी के दिन इन त्रिदेवियों की आराधना करने से व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि यह अनुष्ठान तीनों देवियों को समर्पित शक्तिपीठों में किया जाए, तो इसका प्रभाव और भी कई गुना बढ़ जाता है। इसी श्रद्धा और भावना के साथ, श्री मंदिर द्वारा पहली बार मासिक दुर्गा अष्टमी के पावन अवसर पर देश के तीन प्रमुख शक्तिपीठों – शक्तिपीठ ललिता माता मंदिर, मां महालक्ष्मी अम्बाबाई शक्तिपीठ मंदिर और कालीघाट शक्तिपीठ मंदिर में 12 ब्रह्माण द्वारा दुर्गा-लक्ष्मी-काली सम्पूर्ण सुरक्षा 12 ब्राह्मण महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। ये शक्तिपीठ शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और मां काली की पूजा के लिए सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, आइए जानते हैं इन शक्तिपीठों का महत्व..
शक्तिपीठ ललिता माता मंदिर : प्रयागराज में स्थित मां ललिता देवी मंदिर यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां मां 3 रूपों में दर्शन देती हैं। यह मंदिर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के निकट स्थित है जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं। देवी पुराण के अनुसार, सती का हस्तांगुल यानी हाथ की उंगली जहां गिरी, वहीं मां ललिता देवी प्रकट हुईं।
शक्तिपीठ माँ महालक्ष्मी अम्बाबाई मंदिर : महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित श्री महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती के दो नेत्र इसी स्थान पर गिरे थें तब से माता लक्ष्मी यहां विराजमान हैं। 7000 साल से भी अधिक पुराने इस मंदिर में विराजित माता लक्ष्मी की मूर्ति को दिव्य एवं चमत्कारी माना जाता है।
शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर : कालीघाट मंदिर, जो कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है, हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जो शक्ति, ऊर्जा और विनाश की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे।
मान्यता है मासिक दुर्गा अष्टमी के शुभ अवसर पर इन त्रिदेवियों को समर्पित इस अनुष्ठान में भाग लेने से नकारात्मकता के विरुद्ध त्रिदेवी द्वारा सुरक्षा कवच की प्राप्ति होती है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और त्रिदेवियों का आशीर्वाद प्राप्त करें।