🕉️ भैरव अष्टमी, जो भैरव देव का प्राकट्य दिवस भी है, इस दिन अष्ट स्वरूप आराधना से पाएं स्थिरता, निडरता और सुरक्षा का दिव्य आशीर्वाद   🕉️
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भैरव अवतार विशेष: कालाष्टमी महारात्रि 8 प्रहर महाभैरव अनुष्ठान

अष्ट भैरव स्वरूप 1,008 श्री काल भैरव कवच पाठ और अष्टकम स्तोत्र जाप

स्थिरता, स्वास्थ्य और डर और अनिश्चितता से दिव्य सुरक्षा के लिए प्रार्थना करना
temple venue
श्री आदि काल भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
pooja date
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🔱 मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर काल भैरव जयंती मनाई जाती है। यह वह पावन समय है, जब भगवान शिव ने अपने शक्तिशाली और रक्षक स्वरूप भगवान काल भैरव के रूप में प्रकट होकर सृष्टि की रक्षा की। इस विशेष पूजा में अष्ट भैरव स्वरूप (भैरव जी के आठ रूपों) की संयुक्त आराधना की जाती है। इस 8 प्रहर पूजा से भक्त अपने जीवन के कठिन मार्गों को शुद्ध कर सकते हैं, गहरे दुखों से राहत पा सकते हैं और जीवन को एक मजबूत दिव्य मार्ग पर ले जा सकते हैं। जीवन की अचानक परेशानियाँ, चिंता, रुकावटें या असफलताएँ अक्सर समय (काल) और अनजाने कर्मों का परिणाम मानी जाती हैं और इस महा-रात्रि में इनका समाधान संभव है।

🔱 पुराणों के अनुसार, जब भगवान शिव ने काल भैरव रूप धारण किया, तब वे काशी के कोतवाल (मुख्य रक्षक) बने। इन्हीं की शक्ति से अष्ट भैरव प्रकट होकर आठों दिशाओं की रक्षा करने लगे। यह पूजा सभी आठ रूपों की कृपा को आमंत्रित करती है:

🙏 असितांग भैरव – सृजन और सफलता देते हैं
🙏 रुरु भैरव – भ्रम और असमंजस दूर करते हैं
🙏 चंड भैरव – शत्रु और प्रतिस्पर्धाओं को शांत करते हैं
🙏 क्रोध भैरव – क्रोध और अस्थिरता को नियंत्रित करते हैं
🙏 उन्मत्त भैरव – नकारात्मक भावनाओं को शांत करते हैं
🙏 कपाल भैरव – दुर्भाग्य और बुरी किस्मत को समाप्त करते हैं
🙏 भीषण भैरव – बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से रक्षा करते हैं
🙏 संहार भैरव – अंतिम शांति और मुक्ति की राह बनाते हैं

मान्यता है कि इन आठों रूपों को एक साथ पूजने से अंदर और बाहर से पूर्ण सुरक्षा का अनुभव होता है।

🔱 8 प्रहर महाभैरव अनुष्ठान कालाष्टमी की रात और दिन भर निरंतर किया जाने वाला शक्तिशाली जप और यज्ञ है। इसमें 1,008 बार श्री काल भैरव कवच पाठ और भैरव अष्टकम स्तोत्र जप किए जाते हैं। इससे साधक और उसके परिवार के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच तैयार हो सकता है। जब यह पूजा काशी के प्राचीन श्री आदि काल भैरव मंदिर में की जाती है, तब इसका प्रभाव कई गुना शक्तिशाली माना गया है।

यह अनुष्ठान आजीवन स्थिरता, स्वास्थ्य, सुरक्षा और भय से राहत का आशीर्वाद दे सकता है।

श्री आदि काल भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश

श्री आदि काल भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
महादेव की नगरी कही जानेवाली काशी में भैरव बाबा की मर्जी के बिना कुछ भी नहीं होता है और पूरी नगरी की देखरेख उन्हीं के हाथों में है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ी की इनमें सबसे महान कौन है। इस चर्चा के बीच शिवजी का जिक्र आने पर ब्रह्माजी के पांचवें मुख ने शिवजी की आलोचना की, जिससे शिवजी को गुस्सा आया। उसी क्षण भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ।

काल भैरव ने शिवजी की आलोचना करने वाले ब्रह्माजी के पांचवें मुख को काट दिया, लेकिन वो मुख काल भैरव के हाथ से अलग ही नहीं हो रहा था। तभी शिव जी ने काल भैरव से कहा, तुम्हे तो ब्रह्म हत्‍या का दोष लग गया। इस दोष को मिटाने का एक ही तरीका है कि तुम तीनों लोकों का भ्रमण करो। जिस स्थान पर ब्रह्मा का ये पांचवां मुख तुम्‍हारे हाथ से छूटेगा, वहीं तुम्हें इस पाप से मुक्‍ति मिलेगी। भैरव बाबा के हाथ से काशी में ब्रह्माजी का मुख अलग हुआ, वहीं उनको मुक्ति मिली। जिसके बाद शिवजी ने काल भैरव को काशी का कोतवाल बनाया। मान्यता है कि यहां विराजित बाबा कालभैरव की अराधना करने से सारा दुख, नजर बाधा, विकार और कष्ट को भी हरते हैं।

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