कार्तिगई मास तमिल पंचांग के सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है। यह मास भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है। इस पवित्र माह में भगवान शिव को समर्पित सोमवार के दिन भक्त कई तरह के विशेष अनुष्ठान करते हैं, जिसमें 108 शंख से स्फटिक लिंगम शिव रुद्राभिषेक करना और 11,000 शिव रुद्र मंत्रों का जाप को अत्यंत फलदायी बताया गया है। दरअसल भगवान शिव की पूजा में शंख एवं स्फटिक लिंगम को जीवन में शांति और संतुलन का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस शुभ दिन पर पवित्र अनुष्ठान को करने से कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ मिलते हैं। दरअसल, हिंदु धर्म में शंख को शीतलता व शुद्धता का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि स्फटिक लिंगम पर शंख द्वारा जल या दूध भरकर मंत्र जाप के साथ अभिषेक करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है व नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त होती हैं। इसके अलावा शंख की ध्वनि से नकारात्मकता दूर होती है और शांति का माहौल बनता है। वहीं, बात करें अगर स्फटिक लिंगम की तो ये क्रिस्टल से बना शिवलिंग होता है जो अत्यंत पवित्र एवं शक्तिशाली होता है। यह शुद्धता, शांति व शक्ति का प्रतीक है।
मान्यता है कि स्फटिक लिंगम का अभिषेक करने से नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त होती हैं और सकारात्मकता का प्रवाह होता है, जिससे भक्त को मानसिक व आत्मिक शांति मिलती है। बात करें, 108 शंख और 11,000 मंत्रों के जाप की तो शास्त्रों में इन दोनों ही संख्याओं का विशेष महत्व बताया है। जहां माला के 108 अंक जीवन-मृत्यु के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं, 11,000 जाप ऊंचे आध्यात्मिक स्तर को प्राप्त करने और दिव्य आशीर्वाद पाने में मदद करता है। यही कारण है कि कार्तिगाई मासम् में पहले सोमवार को 108 शंख स्फटिक लिंगम शिव रुद्राभिषेक के साथ 11,000 शिव रुद्र मंत्र जाप करने से शरीर, मन और पर्यावरण से नकारात्मकता को दूर करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए दक्षिण भारत के तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में इस अनुष्ठान का आयोजन किया जाए रहा है। इस विशेष पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से सम्मिलित हों और भगवान शिव का दिव्य आशीष पाएं।