हिंदू धर्म में हर महीने की शुक्ल अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है। यह दिन मां दुर्गा और उनके नौ रूपों को समर्पित है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, दस महाविद्या भी देवी दुर्गा का ही स्वरूप एवं सभी सिद्धियों की दाता है। इनमें से, आठवीं महाविद्या है माँ बगलामुखी, जिनकी पूजा शत्रुओं के विनाश के लिए की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन माँ बगलामुखी की विशेष पूजा शत्रुओं पर विजय, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और न्यायालय के मामलों में विजय प्रदान करा सकती है। वहीं देवी प्रत्यांगिरा आदिशक्ति का एक शक्तिशाली रूप हैं, जिन्हें सभी विनाशकारी शक्तियों द्वारा किए गए हमलों को दूर करने और नकारात्मक शक्तियों के कारण होने वाले प्रभावों से बचाने के लिए जाना जाता है। माँ प्रत्यंगिरा बुरी शक्तियों का नाश कर अपने भक्तों की सुरक्षा करती हैं। इसीलिए पहली बार मासिक दुर्गा अष्टमी तिथि पर महाकाल की नगरी उज्जैन में 25 ब्राह्माणों द्वारा बगलामुखी-प्रत्यांगिरा कवच पाठ: 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है।
बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ शक्तिशाली छंदों एवं मंत्रों की श्रृंखला है, जिसका आह्वान माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा के आशीर्वाद और सुरक्षा को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, इस कवच के पाठ से देवी बगलामुखी और देवी प्रत्यंगिरा की दिव्य ऊर्जाओं को समाहित कर भक्तों को शत्रुओं के विरुद्ध अपार शक्ति, साहस और सुरक्षा का आशीष मिल सकता है। इसके साथ ही माँ बगलामुखी के मूल मंत्र का 1 लाख बार जाप करके इस मंत्र को सिद्ध किया जा सकता है जिससे देवी माँ से नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रभावों से सुरक्षा पा सकते हैं। इसलिए पहली बार श्री मंदिर द्वारा मासिक दुर्गा अष्टमी के शुभ अवसर पर 25 ब्राह्मणों द्वारा महाकाल की नगरी उज्जैन के माँ बगलामुखी मंदिर में बगलामुखी-प्रत्यांगिरा कवच पाठ: 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है। आप भी महाविद्याओं को समर्पित इस विशेष अनुष्ठान में श्री मंदिर द्वार भाग लें और देवियों द्वारा बुरी शक्तियों एवं नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति एवं दैवीय सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें।