क्या नकारात्मकता शुभ पलों पर भी हावी हो रही है? 😔 और हर प्रयास के बाद भी राहत नहीं मिल रही? 😞
🙏✨ आदिशक्ति की 5 महाविद्याओं से इस बगलामुखी जयंती पर पाएं हर परेशानी का दिव्य समाधान⚡🔥💫
कुछ भी कार्य सफल नहीं हो पा रहे, और जो बनते हैं, वे भी अंतिम समय में बिगड़ जाते हैं। क्या कहीं इसका कारण कोई नकारात्मक शक्ति या ऊर्जा तो नहीं? यदि हाँ, तो अब समय है कि आप इसके प्रभावी समाधान के बारे में गहराई से विचार करें। शास्त्रों में नकारात्मकता और शत्रुओं के प्रहार को निष्फल करने के लिए महाविद्याओं की पूजा का विधान बताया गया है। एक शुभ संकेत यह भी है कि बगलामुखी जयंती का शुभ मुहूर्त आ रहा है। ऐसा माना जाता है कि दस महाविद्याओं में आठवीं देवी माँ बगलामुखी ने इस दिन हरिद्रा सरोवर से दिव्य रूप में प्रकट होकर सृष्टि की रक्षा की थी। पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में जब पृथ्वी पर जब मदन नाम के असुर ने हाहाकर मचा दिया था, तब भगवान विष्णु इस संकट का समाधान जानने भगवान शिव के पास पहुँचे। शिव ने बताया कि इस राक्षस का संहार केवल आदिशक्ति ही कर सकती हैं। भगवान विष्णु की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीविद्या ने माँ बगलामुखी के रूप में प्रकट होकर राक्षस का संहार करके समस्त प्राणियों की रक्षा की और पृथ्वी को विनाश से बचाया। तभी से बगलामुखी जयंती को माँ बगलामुखी की साधना के लिए सर्वोत्तम अवसर माना जाने लगा।
माँ बगलामुखी की भाँति, माँ काली, माँ तारा, माँ षोडशी और माँ भुवनेश्वरी देवी को भी आदिशक्ति का अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप माना गया है, जो बुरी शक्तियों का नाश कर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। यह भी मान्यता है कि माँ बगलामुखी जयंती के दिन इन सभी देवियों की संयुक्त आराधना से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं। ये पाँच महाविद्या अपने भक्तों को हर प्रकार की नकारात्मकता से बचाकर उन्हें प्रचुरता का आशीर्वाद देती हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार, महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव और देवी सती के बीच एक प्रसंग से जुड़ी है। जब भगवान शिव ने देवी सती को उनके पिता के यज्ञ में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं दी, तो देवी सती ने अपने दस शक्तिशाली रूपों को प्रकट किया और भगवान शिव को चारों दिशाओं से घेरकर उन्हें यज्ञ में जाने से रोका। यही दस रूप "दस महाविद्याएं" कहे गए, जिनमें से पाँच महाविद्याएं माँ बगलामुखी, माँ काली, माँ तारा, माँ षोडशी और माँ भुवनेश्वरी को विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है।
आइए जानते हैं ये पंच महाविद्याएं क्यों हैं इतनी खास?
✔️ माँ काली – समय, सृजन और विनाश की प्रतीक हैं। वह शिव की शक्ति हैं और समस्त बाधाओं तथा नकारात्मकता को नष्ट करती हैं।
✔️ माँ तारा – तांत्रिकों की आराध्या देवी हैं। महर्षि वशिष्ठ ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी। वे ज्ञान, मुक्ति और कठिन समय में सहारा देने वाली देवी हैं।
✔️ माँ षोडशी – सुंदरता, सामंजस्य और परम सत्य की प्रतीक हैं। वे जीवन में संतुलन और पूर्णता लाने की शक्ति रखती हैं।
✔️ माँ भुवनेश्वरी – ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे संपूर्ण सृष्टि की नियंत्रणकर्ता और पोषण प्रदान करने वाली शक्ति हैं।
✔️ माँ बगलामुखी – नियंत्रण, विजय और शांति की प्रतीक हैं। वे शत्रु नाश और सुरक्षा प्रदान करने की शक्ति से युक्त देवी हैं।
ऐसे में बगलामुखी जयंती के इस शुभ अवसर पर आप भी पंच महाविद्या अनुष्ठान में भाग लेकर अपने जीवन में निहित नकारात्मकता को देवियों की कृपा से दूर करें प्रचुरता का अद्भुत दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।