अष्टमी तिथि को हिंदू धर्म में देवी पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कहते हैं कि इस दिन श्रद्धा भाव से पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख एवं समृद्धि का वास होता है। मान्यता है कि सर्व सिद्धि यानि सभी इच्छाओं व उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दस महाविद्याओं की आराधना की जाती है, इससे भक्तों को सर्वत्र सिद्धि मिलती है। मां कामाख्या शक्तिपीठ को ‘शक्ति साधना का गढ़’ भी कहा गया है। कालिका पुराण के अनुसार यही वो स्थान है जहाँ ब्रह्मा जी ने नक्षत्रों का निर्माण किया था जिस कारण ऐतिहासिक रूप से इसे प्रागज्योतिषपुर यानी 'पूर्व की रोशनी' के नाम से भी जाना जाता था।
इस शक्तिपीठ में माँ कामाख्या दस महाविद्याओं के साथ विराजमान हैं और यहाँ दूर-दूर से तांत्रिक आते हैं और शक्ति पूजा कर सिद्धियाँ प्राप्त करते हैं। कहते हैं जो भी मनुष्य इस शक्तिपीठ में दस महाविद्या पूजा और मां कामाख्या यज्ञ करवाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं और देवी माँ उसे हर विपत्ति से लड़ने की शक्ति प्रदान करती हैं। इस अष्टमी तिथि पर आयोजित सर्व सिद्धि एवं सर्व शक्ति प्रदायक दस महाविद्या पूजा एवं माँ कामाख्या यज्ञ में अवश्य भाग लें।
पूजा से पहले भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे मंदिर की लाइव परिक्रमा आयोजित की जाएगी और इसमें शामिल होने के लिए आपके साथ एक लिंक शेयर किया जाएगा। पूजा के लिए आपका नाम एवं गोत्र का संकल्प मंदिर के प्रांगण में लिया जाएगा, जिसके बाद पंडित जी आपके नाम एवं गोत्र संकल्प पत्र को गर्भगृह के अंदर ले जाएंगे और पूजा करेंगे। जिसके बाद पंडित जी यज्ञशाला में आपका यज्ञ शुरू करेंगे। यज्ञशाला में किए गए इस यज्ञ का 5 मिनट का अंश आपके साथ शेयर किया जाएगा।