🪔 इस रविवार सूर्योदय गंगा आरती और आदित्य हृदय स्तोत्र के 51 पाठों के माध्यम से साहस और निडरता का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें
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रविवार सूर्य और गंगा आरती विशेष

सूर्योदय दिव्य गंगा आरती और 51 आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ

साहस, आंतरिक शक्ति और मानसिक निडरता प्राप्त करने के लिए
temple venue
श्री गलताजी सूर्य मंदिर, अस्सी घाट, जयपुर, काशी | राजस्थान, उत्तर प्रदेश
pooja date
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🪔 इस रविवार सूर्योदय गंगा आरती और आदित्य हृदय स्तोत्र के 51 पाठों के माध्यम से साहस और निडरता का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें

सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। सूर्य देव को जीवनदाता और आत्मा के स्वरूप के रूप में पूजनीय माना गया है। रविवार को सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना, स्तोत्रों का पाठ करना और उनकी आराधना करना आत्मविश्वास, ओज, आरोग्य और तेज में वृद्धि करता है। ऐसा कहा गया है कि सूर्य उपासना से व्यक्ति को दीर्घायु, सफलता, सम्मान और नकारात्मक प्रभावों से रक्षा प्राप्त होती है। सूर्य उपासना के अनेक रूपों में आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सर्वाधिक प्रभावशाली माना गया है। रामायण में महर्षि अगस्त्य ने यह पवित्र स्तोत्र भगवान श्रीराम को प्रदान किया था, जिससे उन्हें रावण पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिली।

मान्यता है कि आदित्य हृदय स्तोत्र का 51 बार पाठ करने से भक्त को आंतरिक शक्ति, साहस और मानसिक निडरता की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र भय, रोग और शत्रुओं के नाश में सहायक माना जाता है और सफलता के मार्ग को प्रशस्त करता है। रविवार के दिन जयपुर स्थित गलता जी मंदिर में विद्वान आचार्यों द्वारा 51 बार किया गया यह पाठ विशेष रूप से फलदायी होता है। इस अनुष्ठान से आरोग्य, दीर्घायु, यश और आध्यात्मिक प्रगति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

🪔 इस अनुष्ठान का एक अत्यंत पवित्र भाग है सूर्योदय के समय की गंगा आरती, काशी में गंगा तट पर प्रातःकाल होने वाली यह आरती एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। प्रातः बेला में जब घंटियों की ध्वनि, वैदिक मंत्रोच्चार और दीपों की लौ से वातावरण दिव्यता से भर जाता है, तब सूर्योदय को अर्घ्य अर्पित करते हुए माँ गंगा की आराधना करने से भक्तों को अपार शांति, ऊर्जा और सकारात्मकता की अनुभूति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस आरती में सम्मिलित होने से पापों का क्षय होता है और सूर्य उपासना के साथ की गई यह आरती अनेक गुना अधिक फलदायी होती है।

काशी के असी घाट की गंगा आरती अपनी दिव्यता और अद्वितीयता के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन काल से यह घाट ज्ञान, भक्ति और संस्कृति का केंद्र रहा है। जब प्रातः और सायंकाल यहाँ सैकड़ों दीप प्रज्वलित होते हैं, वैदिक मंत्र गूंजते हैं और माँ गंगा को अर्पण किया जाता है, तब वातावरण पूर्णतः आध्यात्मिक हो उठता है। ऐसा माना जाता है कि इस आरती में सहभाग करने से जीवन के पाप नष्ट होते हैं, मन को शांति मिलती है और मात्र गंगा दर्शन से ही मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। इसी समय जयपुर के गलता जी मंदिर में 51 बार आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जाएगा, जो सूर्य उपासना के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना गया है।

🪔 श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित यह महापूजा सूर्य देव की कृपा और माँ गंगा के दिव्य आशीर्वाद का अद्भुत संगम है, जो आपके जीवन को नई दिशा, शक्ति और प्रकाश प्रदान कर सकता है।

श्री गलताजी सूर्य मंदिर, अस्सी घाट, जयपुर, काशी | राजस्थान, उत्तर प्रदेश

श्री गलताजी सूर्य मंदिर, अस्सी घाट, जयपुर, काशी | राजस्थान, उत्तर प्रदेश
श्री गलताजी सूर्य मंदिर जयपुर से 10 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह मंदिर बहुत प्राचीन और धार्मिक महत्व रखता है। अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित इस मंदिर परिसर में कई मंदिर हैं, जिनमें गलताजी सबसे बड़ा है। लोग अपने पापों को धोने के लिए यहां पवित्र कुंडों में स्नान करने आते हैं, जो प्राकृतिक झरनों से लगातार भरते रहते हैं। इनमें गलता कुंड को सबसे पवित्र माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में जयपुर के तत्कालीन शासक सवाई जयसिंह द्वितीय के दरबारी दीवान राव कृपाराम के संरक्षण में शुरू हुआ था। सूर्य देव का आशीर्वाद लेने के लिए यहां कई भक्त आते हैं। कहा जाता है कि संत गालव ने यहां सौ साल तक तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने यहां हमेशा के लिए पवित्र जल का स्रोत दे दिया था। इस मंदिर में सूर्य देव की पूजा करने से सुख, समृद्धि, शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है। इससे अहंकार दूर होता है।

वहीं अस्सी घाट, काशी, जिसे वाराणसी या बनारस भी कहा जाता है, पवित्र गंगा के तट पर स्थित है और अस्सी घाट इसके सबसे पूजनीय आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्री यहाँ गंगा में पवित्र स्नान करने आते हैं। उनका मानना है कि यह स्नान पापों को धोता है और मोक्ष का मार्ग खोलता है। कहा जाता है कि शुभ अवसरों पर स्नान करने, गंगा आरती में शामिल होने और अस्सी घाट पर प्रार्थना करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद मिलता है और साथ ही पूर्वजों को भी शांति प्राप्त होती है।

மதிப்புரைகள் மற்றும் மதிப்பீடுகள்

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