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शिव-विष्णु का दुर्लभ दिन विशेष: हरि-हर पूजा

हरि-हर अष्टोत्तर नामावली पूजा और कमल गट्टा महायज्ञ

शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए शिव और विष्णु जी का संयुक्त आशीर्वाद
temple venue
श्री गौरी-केदारेश्वर महादेव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
pooja date
4 November, Tuesday, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी
பூஜை முன்பதிவு முடிவடையும்
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🔱 सनातन धर्म में हरि-हर पूजा भगवान विष्णु (हरि) और भगवान शिव (हर) की संयुक्त आराधना है। यह पूजा जीवन में संतुलन, संरक्षण और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि हरि-हर कृपा से कर्म बाधाएँ दूर होती हैं, मन को शांति मिलती है और घर-परिवार में शुभ ऊर्जा का वास बढ़ता है। इस बार काशी के श्री गौरी केदारेश्वर महादेव मंदिर में हरि-हर अष्टोत्तर नामावली पूजा होने जा रही है। यह भगवान विष्णु (हरि) और भगवान शिव (हर) के 108 दिव्य नामों के जप के साथ की जाने वाली पवित्र साधना है। माना जाता है कि हरि-हर के 108 नामों का जप करने से पापों का क्षय होता है, मन में शांति आती है और जीवन में स्थिरता और समृद्धि बढ़ सकती है।

🔱 इस अनुष्ठान में शामिल कमल गट्टा महायज्ञ, माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र अनुष्ठान है। कमल गट्टा माँ लक्ष्मी का प्रिय माना गया है, क्योंकि वे स्वयं कमल पर विराजमान हैं। इस महायज्ञ में कमल गट्टों से अर्घ्य और आहुति अर्पित कर लक्ष्मी बीज मंत्र का जप किया जाता है। माना जाता है कि इससे घर में धन, सौभाग्य और स्थिर समृद्धि का प्रवाह बढ़ता है। यह यज्ञ नकारात्मक ऊर्जा, कर्ज के बोझ और वित्तीय रुकावटों को दूर करने में सहायक माना गया है। श्रद्धा से किया गया कमल गट्टा महायज्ञ जीवन में सुख, शांति और उन्नति प्रदान कर सकता है।

🔱 शिव-विष्णु जी की संयुक्त पूजा को हरि-हर आराधना कहते हैं, जिसका वर्णन शास्त्रों में विस्तार से किया गया है। यह पूजा सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु और संहारकर्ता भगवान शिव दोनों की एक साथ कृपा पाने का दिव्य माध्यम है। शास्त्रों में वर्णन है कि जहाँ इन दोनों देवों की एक साथ उपासना होती है, वहाँ जीवन की बाधाएँ, मानसिक अशांति और पारिवारिक कलह धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं। यह पूजा मन और जीवन में बेहतर संतुलन स्थापित कर सकती है। यह अनुष्ठान श्री गौरी-केदारेश्वर महादेव मंदिर में होने जा रहा है, जो अपने आप में धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण स्थल है। मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव ‘केदारेश्वर’ रूप में विराजमान हैं और माता गौरी स्वयं इस धाम की रक्षा करती हैं।

🌸 आप भी इस मंगलवार श्री मंदिर द्वारा आयोजित हरि-हर अष्टोत्तर नामावली पूजा में भाग लेकर शिव‑विष्णु जी की कृपा का दिव्य अनुभव करें।

श्री गौरी-केदारेश्वर महादेव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश

श्री गौरी-केदारेश्वर महादेव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध काशी शहर में कई असाधारण शिवलिंग हैं, जिनमें से एक गौरी केदारेश्वर मंदिर है, जो अपने अत्यधिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शिवलिंग के दर्शन करना उत्तराखंड में केदारनाथ के दर्शन के समान ही शुभ माना जाता है।

धार्मिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम के वंश के राजा मांधाता भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। वे नियमित रूप से केदारनाथ जाते थे और भगवान शिव को खिचड़ी चढ़ाते थे। भगवान शिव की आज्ञा मानकर उन्होंने वाराणसी में कठोर तपस्या भी की। उनकी तपस्या से भगवान शिव खिचड़ी से शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए, जिन्हें गौरी केदारेश्वर के नाम से जाना जाता है। काशी का ये शिवलिंग दो भागों से बना है, जो हरि-हर का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस शिवलिंग में गौरी, केदारेश्वर, महाविष्णु और महालक्ष्मी की उपस्थिति के साथ-साथ देवी अन्नपूर्णा भी विद्दमान है, क्योंकि इसकी उत्पत्ति खिचड़ी से हुई है।

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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के नाम के साथ आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र सेवा, अन्नसेवा, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पूजा संपन्न होने के बाद दिव्य आशीर्वाद बॉक्स जैसे- गंगाजल, पंचमेवा, धागा आदि जो कि प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों से प्राप्त किए गए हैं, 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा। यह बॉक्स, श्री मंदिर की तरफ से आपकी पूजा बुकिंग के साथ ही बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भेजा जाएगा।

மதிப்புரைகள் மற்றும் மதிப்பீடுகள்

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