साल की शुरुआत अक्सर पूरे वर्ष के अनुभव और परिणाम को तय करती है। सनातन धर्म में, वर्ष का पहला दिन केवल कैलेंडर बदलने का समय नहीं, बल्कि एक पवित्र अवसर होता है, जब हमारा संकल्प और भगवान की कृपा एक साथ मिलती है। इस पावन समय पर भगवान सूर्य की पूजा करने से जीवन में स्पष्टता, सही दिशा और स्थिरता आती है। सूर्य देव, जो प्रकाश और समय के स्रोत हैं, हमारे जीवन में नियम, जिम्मेदारी और उद्देश्यपूर्ण कर्म का मार्ग दिखाते हैं। इसलिए वर्ष की शुरुआत में उनकी आराधना विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
भगवान सूर्य वह एकमात्र देवता हैं जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि दिव्यता हमेशा हमारे आसपास है और उसे देखा और महसूस किया जा सकता है। वेदों में कहा गया है कि सूर्य देव साहस, आत्मसम्मान, नेतृत्व क्षमता, ऊर्जा और सम्मान प्रदान करते हैं। मार्कंडेय पुराण में वर्णित है कि ब्रह्मांड के आरंभ में जब अंधकार था, तब दिव्य प्रकाश सूर्य के माध्यम से प्रकट हुआ और उन्हें सृष्टि के संतुलन और व्यवस्था का नियामक माना गया। इसलिए सूर्य की पूजा जीवन में संतुलन, अनुशासन और सही दिशा का प्रतीक मानी जाती है। वर्ष का पहला दिन इसलिए भी खास है क्योंकि यह अगले महीनों के भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक माहौल को तय करता है।
जैसे सूरज हर सुबह निश्चित रूप से उगता है, वैसे ही नववर्ष में सूर्य देव की पूजा करने से हमारे जीवन में लगातार प्रयास, धैर्य और स्पष्ट सोच आती है। यह पूजा तुरंत लाभ का वादा नहीं करती, बल्कि समय के साथ प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता मजबूत करती है। सूर्य देव की आराधना में सूर्य गायत्री मंत्र जाप, सूर्य अर्घ्य अर्पण और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ शामिल होता है। गायत्री मंत्र हमारे भीतर की ऊर्जा और आत्मविश्वास को जगाता है, जबकि आदित्य हृदय स्तोत्र साहस, फोकस और नैतिक नेतृत्व को मजबूत करता है। 2026 के इस विशेष अवसर पर 51,000 सूर्य गायत्री मंत्र जाप, सूर्य अर्घ्य और आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ पवित्र सूर्य देव गलता जी मंदिर में संपन्न किए जाएंगे।
इस अनुष्ठान में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लेकर आप अपने जीवन में संतुलन, स्पष्टता और सूर्य देव के स्थिर मार्गदर्शन का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। 🌞🙏