🪔 साल 2025 के आखिरी शुक्रवार को मां वाराही देवी की आराधना अत्यंत शुभ और सिद्धिदायिनी हो सकती है। वाराही, श्री महालक्ष्मी का उग्र एवं कल्याणकारी रूप हैं, जो भक्तों के जीवन से भय, संपत्ति बाधा और आर्थिक रुकावटों को दूर करती हैं। वर्ष का अंतिम शुक्रवार नकारात्मक ऊर्जा के शमन और नई शुभ ऊर्जा के स्वागत के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जा रहा है। इस विशेष दिन 11 हजार वाराही मूल मंत्र-जाप, वाराही स्तुति और वाराही कवचम महायज्ञ होने जा रहा है, जो परिवार में संपत्ति, बंटवारे से जुड़े झगड़े सुलझा सकता है। यह साधना न सिर्फ प्रॉपर्टी बनाने, बल्कि उसकी सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी फलदायी मानी गई है।
🪔 शास्त्रों में देवी वाराही को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और इन्हें चौंसठ योगिनियों में 28 वां स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि लक्ष्मी जी जहां धन प्रदान करती हैं, वहीं वाराही देवी धन से जुड़े दुर्भाग्य को दूर करती हैं। इतना ही नहीं, श्री वाराही देवी को दंडिनी भी कहा जाता है, जो देवी चंडिका या दुर्गा की सेनापति हैं। कहा जाता है कि वाराही देवी दिव्य श्री चक्रम के 16वें प्रकारम में निवास करती हैं। इन्हें सप्त मातृकाओं में भी विशेष स्थान प्राप्त है। सप्त मातृका, अर्थात सात माताएं, जैसे: ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, महेंद्री और चामुंडी। इन्हें पंचमी भी कहा जाता है, क्योंकि इनका नाम सप्त मातृकाओं में 5वें स्थान पर आता है।
🪔 परिवार में संपत्ति की रक्षा और स्थिरता के लिए 11,000 वाराही मूल मंत्र जाप, वाराही स्तुति और वाराही कवचम महायज्ञ अत्यंत शक्तिशाली और दुर्लभ वैदिक अनुष्ठान माना जाता है। मां वाराही के 11,000 मंत्र-जप से धन-संपत्ति से जुड़ी बाधाएं, भय, शत्रुता, बुरी नज़र और अदृश्य रुकावटें शांत हो सकती हैं। साथ ही मां वाराही स्तुति, मन-बल, धैर्य और मानसिक स्थिरता की राह बनाती है। इस अनुष्ठान में शामिल वाराही कवचम, साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं से लंबे समय तक सुरक्षा का भाव जागृत करता है। विद्वानों का मानना है कि इस महायज्ञ से धन-संपत्ति, साहस, प्रगति, स्थिरता और संरक्षण की शक्तियां सक्रिय होकर जीवन में नई दिशा और सफलता के मार्ग खोलती हैं।
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