🪷 दक्षिण भारत के साथ-साथ उत्तर भारत में भी वैकुंठ एकादशी का महत्व अत्यंत विशेष माना गया है। यह पावन तिथि भगवान विष्णु, विशेषकर श्री वेंकटेश्वर और श्रीरंगनाथ की कृपा प्राप्ति का दुर्लभ अवसर होती है। मान्यता है कि इस दिन वैकुंठ लोक के द्वार भक्तों के लिए खुल जाते हैं, इसलिए इसे वैकुंठ द्वार एकादशी भी कहा जाता है। मंदिरों में वैकुंठ द्वार से होकर दर्शन-अनुष्ठानों से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति मजबूत होती है। साल के इस आखिरी और ख़ास अवसर पर मथुरा के श्री दीर्घ विष्णु मंदिर में 1,25,000 द्वादशाक्षरी मंत्र जाप और 11 विष्णु सहस्रनाम पाठ का आयोजन हो रहा है, जिसमें घर बैठे भाग लेने का शुभ अवसर है।
🪷 1,25,000 द्वादशाक्षरी मंत्र जाप और 11 विष्णु सहस्रनाम पाठ एक अत्यंत शक्तिशाली वैष्णव साधना मानी गई है। द्वादशाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ भगवान विष्णु का मूल मंत्र है, जिसका 1,25,000 बार जाप करने से साधक के जीवन में संचित पाप, कर्म दोष और नकारात्मक ऊर्जा का क्षय संभव है। यह मंत्र मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्ध कर विष्णु तत्व से जोड़ता है। विद्वान मानते हैं कि इस महापूजा से परिवार में खुशहाली, समृद्धि और स्थिरता का वास बढ़ता है।
🪷 इसके साथ किए जाने वाले 11 विष्णु सहस्रनाम पाठ इस साधना को कई गुना प्रभावशाली बना देते हैं। सहस्रनाम के माध्यम से भगवान विष्णु के एक हजार दिव्य नामों का स्मरण होता है, जिससे ग्रह बाधा, मानसिक अशांति, भय, रोग और आर्थिक संकट शांत होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि सहस्रनाम पाठ से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति संभव है। इस संयुक्त साधना से जीवन में स्थिरता, सुख-समृद्धि, पारिवारिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग मजबूत होता है।
🙏 श्री मंदिर द्वारा श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाने वाला यह अनुष्ठान भगवान विष्णु की विशेष कृपा दिलाने और मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करने वाला माना गया है।