✨जब जीवन अस्थिर लगने लगता है, जब हर बार सफलता के करीब पहुँचते हुए भी कोई न कोई बाधा आ जाती है, तो ऐसा लगता है मानो हम समय और परिस्थितियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसे कठिन समय जीवन में दिव्य संतुलन की कमी के कारण आते हैं। सृष्टि की रचना और पालन करने वाली शक्ति भगवान विष्णु और विनाश और परिवर्तन के प्रतीक भगवान शिव के बीच संतुलन ही जीवन में स्थिरता यानी स्थिरता लाता है। वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू पंचांग का एक अत्यंत दुर्लभ और पवित्र दिन है, जब भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की संयुक्त पूजा की जाती है। यह पूजा दिव्य एकता और सृष्टि में संतुलन की पुनर्स्थापना का प्रतीक मानी जाती है।
✨इस पावन अवसर पर श्री मंदिर द्वारा विशेष शिव-विष्णु पूजन का आयोजन किया जाता है। इस पूजन का महत्व पुराणों में वर्णित उस कथा से जुड़ा है, जब भगवान विष्णु ने स्वयं काशी के मणिकर्णिका घाट पर भगवान शिव की आराधना की थी। कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने भगवान शिव को एक हजार कमल फूल अर्पित करने का संकल्प लिया। भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक कमल छिपा दिया। जब भगवान विष्णु को एक कमल कम लगा, तो उन्होंने बिना संकोच अपने नेत्र को कमल मानकर अर्पित करने का निर्णय लिया। यह देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया, जो धर्म की रक्षा और व्यवस्था के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। यह कथा दर्शाती है कि जब भक्ति सच्ची हो और शिव-विष्णु दोनों की आराधना साथ की जाए, तो जीवन में अपार शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
✨इस संयुक्त कृपा के आह्वान के लिए इस शुभ दिन पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में 108 बेल पत्र अभिषेक और दीर्घ विष्णु मंदिर में 108 कमल अर्चना का आयोजन किया जा रहा है। बेल पत्र भगवान शिव को शीतलता और संतोष प्रदान करते हैं, जिससे जीवन की नकारात्मकता और दोषों का शमन होता है। वहीं, कमल भगवान विष्णु का प्रिय पुष्प है जो पवित्रता, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जब इन दोनों पूजाओं को एक साथ किया जाता है, तो यह जीवन में शिव की शक्ति और विष्णु की कृपा दोनों को आमंत्रित करती है।
✨ऐसा माना जाता है कि इस दिन की पूजा से मन, धन और कर्म में संतुलन आता है। पिछले कर्मों का बोझ हल्का हो सकता है, और जीवन में शांति, स्थिरता और सफलता के द्वार खुलते हैं। इस विशेष पूजा में आप श्री मंदिर के माध्यम से भाग ले सकते हैं और जीवन में समृद्धि, सफलता और आत्मिक विकास का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।