जीवन में कभी-कभी मानसिक बेचैनी, डर, चिंता और नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति अस्थिर और असंतुलित महसूस करता है। ऐसे समय में मन और शरीर पर तनाव बढ़ जाता है और निर्णय लेने में कठिनाई होती है। इन अशांतियों और असंतुलनों से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजा-अनुष्ठान का आयोजन प्रभावी माना जाता है। त्रिपुरांतक रक्षा कवच यज्ञ और शिव रुद्राभिषेक इसी उद्देश्य से किया जाने वाला विशेष सोमवार का अनुष्ठान है। यह पूजा भगवान शिव के त्रिपुरांतक रूप को समर्पित है। जिसका अर्थ है “त्रिपुरा का अंत करने वाला” या “तीन नगरों का संहारक” यह भगवान शिव का वह रूप है जिसको धारण करके उन्होंने असुर त्रिपुर और उसकी तीन नगरियों को एक ही बाण से समाप्त कर दिया था।
त्रिपुरांतक शिव को चतुर्भुज रूप में धनुष और बाण के साथ दर्शाया जाता है। यह रूप बुराई पर अच्छाई की विजय और अहंकार व अज्ञानता के अंत का प्रतीक है। उनके माथे पर त्रिपुर का भस्म उनकी शक्ति और संहारात्मक ऊर्जा को दर्शाता है। विशेषकर सोमवार को आयोजित इस यज्ञ और रुद्राभिषेक में वैदिक परंपराओं का समावेश होता है। मंत्र जाप, अभिषेक और निर्देशित अर्पण के माध्यम से यह अनुष्ठान व्यक्ति के मन में स्थिरता, भावनात्मक संतुलन और आध्यात्मिक स्पष्टता लाने में मदद करता है।
🕉️ भगवान शिव के त्रिपुरांतक स्वरुप की पूजा के लाभ
मान्यता है कि इस अनुष्ठान के माध्यम से भावनात्मक तनाव, ऊर्जा संबंधी परेशानियों और ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से राहत मिलती है। यह पूजा केवल आध्यात्मिक शांति ही नहीं देती, बल्कि मानसिक शक्ति, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा के माध्यम से जीवन में स्थिरता भी प्रदान कर सकती है। त्रिपुरांतक शिव की कृपा से व्यक्ति अपने भीतर की अशांति को शांत कर, संतुलन और स्पष्टता प्राप्त कर सकता है। इसी दिव्य कृपा के आह्वान के लिए हरिद्वार में स्थित श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में त्रिपुरांतक रक्षा कवच यज्ञ एवं शिव रुद्राभिषेक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है।
आप भी अपने घर से इस पूजा में भाग लेकर दिव्य अनुष्ठान का अनुभव कर सकते हैं और भगवान शिव की त्रिपुरांतक शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।