🌸 क्या आपके घर से शांति और ऊर्जा जैसे खो गई है? माँ तारा की कृपा से यह पुनः लौट सकती है।
कभी-कभी प्रयास करने के बाद भी घर-परिवार में शांति नहीं रहती। छोटी-छोटी बातों पर विवाद बढ़ जाते हैं, वातावरण में उदासी छा जाती है और धीरे-धीरे मन से ऊर्जा और आशा भी कम होने लगती है। ऐसे समय में लगता है मानो घर की खुशियाँ फीकी पड़ गई हों। आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा तब होता है जब परिवार की जीवनदायिनी प्राण-शक्ति क्षीण हो जाती है और नकारात्मकता हावी होने लगती है। इस शक्ति को पुनः जागृत करने के लिए सर्वोच्च शक्ति, माँ दुर्गा की शरण में जाने का मार्ग ही श्रेष्ठ माना गया है और नवरात्रि से उत्तम समय और कोई नहीं।
इसी कारण सनातन धर्म में माँ तारा की पूजा का विशेष महत्व है, विशेषकर तारापीठ जीवित-कुण्ड अभिषेक और महापूजा। पुराणों में कथा आती है कि समुद्र मंथन के समय जब भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए हलाहल विष पान किया, तो वह निःशक्त होकर अचेत हो गए। सम्पूर्ण सृष्टि भय से भर गई। तभी माँ तारा ने करुणा भाव से भगवान शिव को अपनी गोद में लिया और उन्हें पुनः जीवन प्रदान किया। यह प्रसंग दर्शाता है कि माँ तारा में सबसे बड़ी विपत्ति को भी दूर करने और जीवन, शांति व आशा वापस लाने की शक्ति है।
यह महापूजा माँ तारा की उसी जीवनदायिनी ऊर्जा को घर-परिवार में आमंत्रित करती है। इस अवसर पर विशेष अभिषेक जीवित-कुण्ड के प्रतीक जल से किया जाता है, जो दुख और नकारात्मकता को धोकर जीवन में नई ऊर्जा लाने का संकेत है। मातृ-क्षीर अनुकल्प में दूध का अर्पण किया जाता है, जो भगवान शिव की रक्षा हेतु माँ के वात्सल्य का स्मरण कराता है और परिवार में वही शांति लाने की प्रार्थना है। अंत में 108 दीपदान किया जाता है, जिससे विवाद और अंधकार दूर होकर माँ तारा की कृपा का उजाला घर को आलोकित करता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से यह विशेष पूजन माँ तारा की कृपा, शांति और सुरक्षा की प्रार्थना का अवसर है।