मां बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं हैं, जो शत्रुओं के मन और बुद्धि को नियंत्रित करने के लिए जानी जाती हैं। इसी कारण शास्त्रों में मां बगलामुखी को 'शत्रु बुद्धि विनाशिनी' भी कहा गया है। मान्यता है कि मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं से होने वाले बड़े खतरे टल जाते हैं और कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में भी विजय प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम और पांडवों ने अपने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए मां बगलामुखी की पूजा की थी। कहा जाता है कि मां बगलामुखी की पूजा से शत्रुओं से आने वाली बड़ी से बड़ी बाधाएं और खतरे भी टल जाते हैं। मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें तंत्र युक्त हवन और षोडशोपचार हवन विधि शामिल है। शास्त्रों में देवी बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए कई विधियां बताई गईं हैं, जिनमें से षोडशोपचार पूजन भी एक है। षोडशोपचार पूजन का अर्थ होता है – सोलह उपचारों से पूजन करना। कहा जाता है मां बगलामुखी को समर्पित तंत्र युक्त हवन एवं यंत्र षोडशोपचार कुमकुम अभिषेक करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति, शत्रुओं पर विजय और कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत मिलती है।
मां बगलामुखी को समर्पित यंत्र का कुमकुम से अभिषेक करने का विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि कुमकुम पूजा की अनिवार्य सामग्री है और सनातन परंपरा में कुमकुम के लाल रंग को साहस, शौर्य और विजय का प्रतीक माना जाता है। जिस प्रकार कुमकुम साहस, शौर्य और विजय का प्रतीक है, उसी प्रकार माँ बगलामुखी भी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली देवी है। यही कारण है कि प्राचीन काल में युद्ध से पहले योद्धाओं और राजाओं के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाया जाता था। धार्मिक ग्रंथों में कुमकुम को दिव्यता का प्रतीक बताया गया है। इसी कारणवश मान्यता है कि मां बगलामुखी को समर्पित यंत्र का कुमकुम से अभिषेक करने से मां बगलामुखी द्वारा विजय प्राप्ति का आशीष मिलता है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार शनिवार का दिन माँ बगलामुखी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इसलिए शनिवार को हरिद्वार के बगलामुखी मंदिर में विशेष माँ बगलामुखी तंत्र युक्त हवन और यंत्र षोडशोपचार कुमकुम अभिषेक का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और माँ बगलामुखी से कोर्ट-कचहरी के मामलों और शत्रुओं पर विजय का आशीर्वाद लें।