🌙💞 हिंदू धर्म में करवा चौथ पर विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। इस व्रत की सबसे विशेष परंपरा है शुक्र चंद्र अर्घ्य। सनातन मान्यता में रात को चाँद निकलने पर महिलाएं छलनी से चंद्रमा और पति को देखते हुए आराधना करती हैं। इसके बाद अर्घ्य देकर प्रार्थना करती हैं कि चंद्रदेव और शुक्र की कृपा से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौभाग्य और समृद्धि बनी रहे। श्री मंदिर द्वारा आयोजित होने जा रहा यह अर्घ्य अनुष्ठान न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत कर सकता है बल्कि घर-परिवार में शांति और सुख-समृद्धि का भी प्रतीक माना गया है।
🌙 करवाचौथ की कथा:
💫 करवाचौथ की एक कथा महाभारत से जुड़ी हुई है, जिसमें द्रौपदी ने अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत किया था। इस कथा के अनुसार, जब पांडव वनवास पर थे, तब द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण से अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना की। श्री कृष्ण ने उन्हें करवाचौथ का व्रत करने की सलाह दी। द्रौपदी ने इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति से किया, जिससे पांडवों की विजय और उनकी वापसी की राह मजबूत हुई। इस व्रत के माध्यम से द्रौपदी ने अपनी आस्था और प्रेम को दिखाया, जो आज भी सुहागिनों द्वारा निभाया जाता है। मान्यता है कि जब मंगल करवा पूजा, वैभव लक्ष्मी पूजन और चंद्र अर्घ्य एकसाथ किया जाता है तो परिवार में खोई हुई मिठास और ईश्वरीय कृपा के द्वार खुलने शुरू हो जाते हैं।
🛕 भारत के सबसे बड़े लक्ष्मी शक्तिपीठ में करवा चौथ विशेष पूजा का दुर्लभ अवसर
कोल्हापुर स्थित माँ महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक विशिष्ट स्थान रखता है। इसे माँ लक्ष्मी की जागृत स्थली माना जाता है, जहाँ सच्चे मन से की गई पूजा शीघ्र फल देती है। इस शुक्रवार, श्री मंदिर के माध्यम से यहाँ विशेष वैभव लक्ष्मी हवन और चंद्र अर्घ्य का आयोजन हो रहा है। पारंपरिक मान्यता है कि इस मंदिर में की गई वैभव लक्ष्मी पूजा और हवन से जीवन में पारिवारिक सामंजस्य के मार्ग मजबूत होते हैं। विद्वान मानते हैं कि वैभव लक्ष्मी हवन और चंद्र अर्घ्य से परिवार में सुख, सौभाग्य और सद्भाव की प्राप्ति होती है। वहीं, चंद्र अर्घ्य से मानसिक शांति और पारिवारिक सुख की दिशा मिल सकती है। करवा चौथ का यह अनुष्ठान जीवन में सामंजस्य, संतुलन और समृद्धि के लिए बेहद फलदायी माना गया है।