🙏सनातन धर्म में अमावस्या को चंद्र मास का सबसे संवेदनशील समय माना गया है। इस दौरान भावनाएँ भारी हो जाती हैं, तनाव बढ़ता है और नकारात्मक प्रभाव जल्दी पकड़ लेते हैं। जो लोग पहले से डर, तनाव या शत्रु-जैसी परिस्थितियों से गुजर रहे हों, उनके लिए 2025 की आखिरी अमावस्या एक महत्वपूर्ण समय है—नए साल से पहले दिव्य सुरक्षा पाने का अवसर। ऐसे समय में भक्त प्रबल रक्षा की तलाश करते हैं, और माँ काली, भगवान भैरव और भगवान हनुमान की संयुक्त आराधना यही शक्ति प्रदान करती है।
आखिरी अमावस्या पर त्रि-शक्ति की पूजा क्यों?
🙏 शास्त्रों के अनुसार, सालभर की जमा हुई नकारात्मकता को दूर करने की सबसे अधिक शक्ति आखिरी अमावस्या में होती है—लेकिन तभी जब मजबूत रक्षक देवताओं की एक साथ पूजा की जाए।
🔸 माँ काली: अमावस्या पर पूजा जाने वाली देवी काली भय, अंधकार और बुरी शक्तियों का विनाश करती हैं। वे वर्षभर की नकारात्मक ऊर्जा को काटकर भय और छिपे शत्रुओं से रक्षा देती हैं।
🔸 भगवान भैरव: अदृश्य खतरों और नजर-दोष से रक्षा करने वाले देवता। अमावस्या के दिन उनकी कृपा घर और मन से नकारात्मक प्रभाव हटाती है और शत्रु-जैसी स्थितियों पर विजय दिलाती है।
🔸 हनुमान जी: भय दूर करने और साहस बढ़ाने वाले देवता। अमावस्या की अंधियारी ऊर्जा को शांत कर भक्तों को हिम्मत, सुरक्षा और शक्ति प्रदान करते हैं।
🙏 पूर्ण रक्षा के लिए यह अनुष्ठान एक शक्तिशाली तीर्थ में किया जाता है। इसलिए कालिमाता के प्रसिद्ध शक्तिपीठ कालीघाट में "संपूर्ण सुरक्षा महायज्ञ" किया जाता है, जहाँ पवित्र मंत्र, विशेष द्रव्य और हवन से भक्तों के लिए सुरक्षा, शांति और शक्ति की प्रार्थना की जाती है। यह यज्ञ माँ काली की उग्र कृपा, भैरव की रक्षा और हनुमान जी का निर्भय आशीर्वाद एक साथ प्रदान करता है।
जैसे ही साल की अंतिम अमावस्या समाप्त होती है, भक्त प्रार्थना करते हैं कि नया वर्ष सुरक्षा, स्थिरता और मानसिक शांति लाए। श्री मंदिर द्वारा किया जाने वाला यह विशेष पूजा जीवन में विजय, रक्षा और शांति का आशीर्वाद देती है।