⚫ जब जीवन में परिस्थितियाँ उलझने लगती हैं, आत्मबल कमजोर पड़ता है, और नकारात्मकता मन पर हावी होने लगती है, तब कुछ शक्तियाँ ऐसी होती हैं जो भीतर के संतुलन और संरक्षण का भाव जगाती हैं। श्री हनुमान, भगवान भैरव और माँ महाकाली ये तीन दिव्य शक्तियाँ ऐसी ही मानी जाती हैं, जो भय, नकारात्मक प्रभाव और शत्रुजनित बाधाओं से मन को दृढ़ बनाती हैं। भगवान हनुमान को शक्ति, भक्ति और अटूट साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी स्मरण मात्र से व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास और रक्षा का भाव प्रकट होता है। रामायण में वर्णित है कि उन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया समुद्र लांघा, रावण के अभिमान को तोड़ा और श्रीराम की सेवा में अपने पराक्रम का परिचय दिया। कालाष्टमी पर यह त्रिशक्ति अनुष्ठान कोलकाता के शक्तिपीठ कालीघाट में होने जा रहा है, जो अपने आप में एक स्वर्णिम अवसर है। कालाष्टमी पर भैरवदेव, हनुमान जी और महाकाली के साथ-साथ उग्र रक्षक देवों की उपासना अत्यंत शुभ और फलदायी मानी गई है।
⚫ उनके उपासक प्रायः यह अनुभव करते हैं कि मन में भय कम होता है और परिस्थितियों का सामना करने का बल बढ़ता है। वहीं भगवान भैरव, शिव के रुद्र रूप हैं, जिन्हें समय और न्याय का देवता कहा गया है। उनका स्वरूप दृढ़ता और सतर्कता का प्रतीक है। प्राचीन कथा में उल्लेख है कि जब ब्रह्मा जी ने शिव का अपमान किया, तब भैरव रूप ने प्रकट होकर उन्हें उनके अहंकार का बोध कराया। इसी कारण उन्हें ‘काशी का कोतवाल’ कहा गया जो धर्म की मर्यादा की रक्षा करते हैं। भैरव की आराधना से व्यक्ति में आत्म-संयम और सुरक्षा की भावना प्रबल होती है। इन दो दिव्य शक्तियों के साथ माँ महाकाली की आराधना विशेष रुप से फलदायी मानी जाती है। वे समय की गति, परिवर्तन और नकारात्मकता के अंत का प्रतीक हैं।
⚫ कहा जाता है कि उन्होंने रक्तबीज जैसे दुष्ट का संहार कर यह संदेश दिया कि अधर्म पर विजय पाने के लिए भीतरी शक्ति आवश्यक है। उनकी उपासना से जीवन में दृढ़ निश्चय और मानसिक शुद्धता का भाव जाग्रत होता है। इन तीनों दिव्य शक्तियों की संयुक्त साधना एक ऐसा अनुष्ठान मानी जाती है जो भय, असुरक्षा और नकारात्मकता से ग्रस्त मन को सशक्त बनाती है। त्रिशक्ति की इस दिव्य कृपा को आमंत्रित करने के लिए कोलकाता के शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में ‘श्री हनुमान, भैरव एवं महाकाली संपूर्ण सुरक्षा महायज्ञ’ का आयोजन किया जा रहा है। इस अनुष्ठान में श्रद्धापूर्वक सहभागिता कर व्यक्ति अपने भीतर संतुलन, धैर्य और आंतरिक शक्ति का अनुभव कर सकता है।
⚫ श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में सम्मिलित होकर इन त्रिदेव-त्रिशक्ति के आशीष से जीवन में स्थिरता, साहस और सुरक्षा का भाव जाग्रत करें।